पंजाब: चुनाव से पहले अकाली दल के साथ आई बसपा, सीट बंटवारे को लेकर हुआ समझौता

पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया है। अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी मायावती की बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी फैसला हो गया है। अकाली दल जहां 97 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, वहीं बसपा के खाते में 20 सीटें आई हैं।
गठबंधन का ऐलान करते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा, "पंजाब की राजनीति में यह नया दिन है। शिरोमणि अकाली दल और बसपा 2022 और भविष्य के चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगी।" कृषि कानूनों पर भाजपा का साथ छोड़ने के बाद से ही संभावना जताई जाने लगी थी अकाली दल और बसपा एक साथ आ सकते हैं। बताया जा रहा है कि अकाली दल ने बसपा को अधिकतर वो सीटें दी हैं, जहां पर भाजपा अपने उम्मीदवार उतारती थी।
गठबंधन के ऐलान के मौके पर बसपा की तरफ से सतीश मिश्रा मौजूद थे। उन्होंने कहा कि बसपा ने शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन किया है, जो पंजाब की सबसे बड़ी पार्टी है। 1996 में दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था और 13 में से 11 सीटें अपने नाम की थी। इस बार ये गठबंधन अटूट रहेगा। बता दें कि 1996 में अकाली दल ने आठ और बसपा ने तीन लोकसभा सीटें जीती थीं।
पंजाब विधानसभा में कुल 117 सीटें हैं। इनमें से जालंधर, जालंधर-पश्चिम, जालंधर-उत्तर, करतारपुर साहिब, फगवाड़ा, होशियारपुर अर्बन, दसूया, रूपनगर जिले में चमकौर साहिब, बस्सी पठाना, पठानकोट में सुजानपुर, मोहाली, अमृतसर उत्तर और अमृतसर सेंट्रल आदि सीटें बसपा की झोली में गई हैं।
बसपा को साथ लाने के पीछे अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल की अहम भूमिका बताई जा रही है। उन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि वो आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन को तैयार है। बादल ने कहा था, "हम इन तीनों पार्टियों के साथ हाथ नहीं मिला सकते। हम गठबंधन करेंगे और दूसरों के लिए दरवाजे खुले हैं। भाजपा के साथ दोबारा जाने का सवाल ही नहीं हैं।"
देश के बाकी राज्यों की तुलना में पंजाब में दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है। पंजाब में लगभग 31 प्रतिशत दलित मतदाता है। दोआबा क्षेत्र की 23 सीटें ऐसी हैं, जहां दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। बसपा को साथ लेकर अकाली दल को उम्मीद है कि वो दलितों मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में सफल रहेगी। पिछले विधानसभा चुनावों में दोआबा क्षेत्र के मतदाता बड़ी संख्या में कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गए थे।
2017 के विधानसभा चुनावों में अकाली दल और बसपा दोनों का वोट शेयर कम हुआ था। अकाली दल को 2012 में 36.6 प्रतिशत वोट मिले थे। 2017 के चुनावों में यह शेयर घटकर 25.2 प्रतिशत रह गया था। इसी तरह बसपा को 2017 में 4.3 प्रतिशत नुकसान के साथ 1.5 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में दोनों पार्टियों को फायदा हुआ और अकाली दल 27.8 प्रतिशत और बसपा को 3.5 प्रतिशत वोट मिले।