मायावती ने किया लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान, क्या प्रधानमंत्री पद पर है उनकी निगाहें?
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने बुधवार को ऐलान किया कि वह 2019 लोकसभा चुनाव में नहीं लड़ेंगी और पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगी। पिछले काफी समय से मायावती के चुनाव ना लड़ने की अटकलें चल रही थीं, लेकिन इसको लेकर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ था। अब मायावती ने खुद इसका ऐलान किया है। बता दें कि मायावती ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर दावा करना चाहती हैं।
मायावती को भरोसा, पार्टी कार्यकर्ता फैसले को करेंगे स्वीकार
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए मायावती ने कहा कि यह पार्टी, लोगों और देश के लिए बेहतर होगा कि वह लोकसभा चुनाव न लड़ें। उन्होंने कहा, "मुझे पक्का भरोसा है कि पार्टी कार्यकर्ता मेरे इस फैसले को स्वीकार करेंगे।" हालांकि उन्होंने कहा कि अगर आगे जरूरत पड़ी तो वह बाद में लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। बता दें कि मायावती बसपा के राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत 2 अप्रैल को ओडिशा के भुवनेश्वर में करेंगी।
मायावती का लोकसभा चुनाव ना लड़ने का फैसला
प्रधानमंत्री पद पर हैं मायावती की निगाहें
'बाद में चुनाव लड़ने' के संकेत के पीछे मायावती की एक सोची-समझी रणनीति है। दरअसल, मायावती मान कर चल रही हैं कि प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए उनके पास इस बार सबसे अच्छा मौका है। ऐसे में वह एक सीट पर ध्यान देने की बजाय पार्टी के पाले में ज्यादा से ज्यादा सीटें डालना चाहती हैं, ताकि गठबंधन की सरकार बनने की सूरत में वह अपना दावा मजबूती से पेश कर सकें।
भाजपा की सीटें कम रहने पर मायावती का दावा होगा मजबूत
यही कारण है कि मायावती ने समाजवादी पार्टी से दशकों पुरानी दुश्मनी भुला गठबंधन किया है। सीट बंटवारे के मुताबिक, बसपा 38 और सपा 37 सीट पर चुनाव लड़ेगी। गठबंधन की तीसरी सहयोगी RLD 3 सीटों लड़ेगी। अगर उनकी पार्टी और गठबंधन राज्य में 50 से ज्यादा सीट लाने में कामयाब रहा तो अन्य किसी गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा पार्टी के लिए इतनी सीट लाना नामुमकिन होगा और वह गठबंधन की सरकार की सूरत में वह प्रधानमंत्री पद पर दावा कर सकेंगी।
मायावती के निशाने पर है कांग्रेस
हालांकि मायावती के लिए यह राह आसान नहीं होने वाली है। इसके लिए उनके गठबंधन को न केवल भाजपा से पार पानी होगी, बल्कि प्रियंका गांधी के राजनीति में आने से जोश में आई कांग्रेस भी उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। यही कारण है कि वह आज कल भाजपा से ज्यादा कांग्रेस पर हमलावर हैं और गठबंधन के बड़े नेताओं के लिए 7 सीट छोड़ने के उसके प्रस्ताव पर वह बिखर पड़ी थीं।