मायावती का प्रधानमंत्री बनने पर बड़ा संकेत, कहा- अगर सबकुछ ठीक रहा तो...
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा किसी से छुपी नहीं है और इस लोकसभा चुनाव में इस सपने के पूरे होने की सबसे अधिक संभावना देखी जा रही है। मायावती ने इस चुनावी दौर में अपनी इस महत्वाकांक्षा को लेकर कोई स्पष्ट बयान तो नहीं दिया है, लेकिन वह अपने बयानों में कई बार इस ओर इशारा कर चुकी हैं। अब एक बार फिर उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर अपनी निगाहें होने का संकेत दिया है।
'प्रधानमंत्री' लिखे पोस्टर के सामने दिए संकेत
यूपी के अंबेडकर नगर के एक रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने इस और इशारा किया। उन्होंने कहा, "अगर सब ठीक रहा तो, तो मुझे यहां से चुनाव लड़ने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति का रास्ता अंबेडकर नगर से होकर जाता है।" इस भाषण के दौरान उनके पीछे एक बड़ा पोस्टर लगा हुआ था, जिसमें उन्हें संसद के बाहर दिखाया गया था और नीचे 'प्रधानमंत्री' लिखा हुआ था।
'नमो का दौर खत्म, जय भीम का दौर शुरू'
इस दौरान मायावती ने कहा कि 'नमो-नमो' का दौर खत्म हो चुका है और उनका समय आ चुका है जो 'जय भीम' का नारा लगाते हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर के समर्थक 'जय भीम' का नारा लगाते हैं। बता दें कि मायावती अकबरपुर से चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं। उन्होंने 1989, 1998, 1999 और 2004 लोकसभा चुनाव में यहां से जीत दर्ज की। 2008 में सीट का विभाजन करके नई अंबेडकर नगर लोकसभा सीट बना दी गई।
अखिलेश ने स्पष्ट शब्दों में किया मायावती का समर्थन
हाल ही में मायावती के सहयोगी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी स्पष्ट शब्दों में मायावती के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस और अखिलेश के मायावती के साथ 'बड़ा खेल खेलने' के आरोपों पर उन्होंने कहा था, "गठबंधन देश को अगला प्रधानमंत्री देगा और मुझे खुशी होगी अगर वह आधी जनसंख्या (महिला) से आती हैं। अगर ऐसा हुआ तो सपा उन्हें पूरा समर्थन देगी।"
मायावती के प्रधानमंत्री बनने पर खुश होंगे अखिलेश
अखिलेश ने इस दौरान किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन यह साफ था कि वह मायावती की बात कर रहे हैं। इससे पहले जनवरी में गठबंधन की घोषणा के समय उन्होंने कहा था कि अगर अगला प्रधानमंत्री यूपी से होगा तो उन्हें खुशी होगी।
मार्च में भी मायावती ने दिए थे संकेत
मायावती इससे पहले मार्च में भी अपना निशाना प्रधानमंत्री पद पर होने के संकेत दे चुकी हैं। उनके लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा से नाराज बसपा कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा था कि वह चुनाव न लड़ने के बावजूद प्रधानमंत्री बन सकती हैं। इसके लिए उन्होंने साल 1995 का उदाहरण दिया था, जब वह राज्य के किसी भी सदन का हिस्सा न होने के बावजूद यूपी की मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहीं थीं।
क्या कहते हैं नियम?
बता दें कि अगर संसद के किसी भी सदन का हिस्सा न होने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री या मंत्री बनता है, तो उसे 6 महीने के अंदर संसद के अंदर चुनकर आना होता है। वह प्रत्यक्ष चुनाव लड़कर लोकसभा में पहुंच सकता है। वहीं, उसके पास बिना लोकसभा चुनाव लड़े अप्रत्यक्ष चुनाव के जरिए राज्यसभा में चुनकर आने का विकल्प भी होता है। मनमोहन सिंह राज्यसभा सांसद रहते हुए ही 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे।
क्या हैं मायावती के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं?
मायावती का प्रधानमंत्री बनना बहुत हद तक यूपी में गठबंधन और भाजपा के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। उनका लक्ष्य गठबंधन के लिए कम से कम 50 सीटें जीतना है, ताकि गठबंधन की सरकार बनने की सूरत में उनका दावा सबसे मजबूत रहे क्योंकि कांग्रेस के अलावा किसी अन्य विपक्षी दल की इतनी सीटें आने की संभावना कम होगी। हालांकि इसके लिए भाजपा और उसके सहयोगियों को बहुमत से कम आंकड़े पर समेटना बहुत जरूरी है।