क्या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी मायावती? मुलायम सिंह के लिए प्रचार करके बदलेंगी इतिहास
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह खुद लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी, बल्कि पूरे देश में पार्टी के प्रचार पर ध्यान देंगी। यह जानकारी उनकी पार्टी के एक नेता ने दी है। दूसरी तरफ, मायावती चुनाव में अपने धुर-विरोधी रहे मुलायम सिंह यादव सहित पूरे यादव परिवार के लिए प्रचार करेंगी। अगर ऐसा होता है तो मुलायम और मायावती की 24 साल पुरानी दुश्मनी में एक नया अध्याय होगा।
भुवनेश्वर से बसपा के चुनाव प्रचार की शुरुआत
बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को बताया कि मायावती पार्टी के राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत 2 अप्रैल को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करेंगी। बता दें कि 2014 में बसपा ने 503 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन चार प्रतिशत वोट के बावजूद उसे एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अपने सहयोगियों समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ वह 7 अप्रैल को देवबंद में पहली साझा रैली करेंगी।
एक मंच पर होंगे मायावती और मुलायम
मायावती पूरे राज्य में सपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी करेंगी, जिनमें सपा संरक्षण मुलायम भी शामिल हैं। वह 19 अप्रैल को मुलायम की लोकसभा सीट मैनपुरी में रैली करेंगी। इस दौरान वहां मुलायम भी मौजूद रहेंगे। यह देखना दिलचस्प रहेगा कि वह अपने पुराने विरोधी के लिए वोट किस तरीके से मांगती हैं। बता दें कि मुलायम अपने बेटे अखिलेश के मायावती से गठबंधन करने के फैसले पर सार्वजनिक असहमति जता चुके हैं।
'गेस्ट हाउस कांड' के कारण है मुलायम और मायावती में दुश्मनी
मैनपुरी रैली के साथ ही यूपी के इन 2 बड़े दिग्गजों के बीच चली आ रही दशकों पुरानी दुश्मनी आधिकारिक तौर पर खत्म हो जाएगी। बता दें कि 2 जून, 1995 में हुए 'गेस्ट हाउस कांड' के बाद से ही मायावती और मुलायम में दुश्मनी कायम है। तब बसपा ने गठबंधन की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और इससे तिलमिलाए सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती को लखनऊ स्थित गेस्ट हाउस में बंधक बना लिया था।
यादव परिवार के सभी सदस्यों के लिए प्रचार करेंगी मायावती
बसपा प्रमुख इसके अलावा यादव परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी प्रचार करेंगी। वह कन्नौज, फिरोजाबाद और बदायूं की सीट पर डिंपल यादव, अक्षय यादव और धर्मेंद यादव के लिए प्रचार करेंगी। बता दें कि बुधवार को एक पार्टी बैठक में मायावती ने कहा था कि पार्टी नेताओं ने उनसे चुनाव लड़ने का अनुरोध किया है, लेकिन वह पार्टी की एकमात्र स्टार प्रचारक हैं और उनके लिए एक सीट पर ध्यान केंद्रित करना संभव नहीं रहेगा।
फिलहाल क्या है उत्तर प्रदेश की स्थिति?
कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। देश के सबसे बड़े सूबे की सियासत को लेकर सभी पार्टियां अपनी तैयारियां पूरी करने में लगी है। सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन कर चुनावी मैदान में हुंकार भरेगी। वहीं कांग्रेस ने भी इस बार प्रियंका गांधी को राजनीति में उतार कर भाजपा को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस और सपा ने अपने कुछ उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं।