#NewsBytesExplainer: क्या होती है कम फाइबर वाली डाइट और इसमें क्या-क्या शामिल? जानिए इसकी महत्वपूर्ण बातें
कम फाइबर वाली डाइट आंत में मौजूद अपचित (न पचने वाली) फाइबर की मात्रा को कम करती है और शारीरिक सूजन को बढ़ने से रोक सकती है। इसके लिए कुछ ही मात्रा में फाइबर के स्त्रोतों का सेवन करना होता है, लेकिन कुछ स्वास्थ्य स्थिति वाले लोगों को ही डॉक्टर इसका पालन करने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं कि कम फाइबर वाली डाइट क्या है और यह किन लोगों के लिए लाभदायक है।
कम फाइबर वाली डाइट क्या है?
कम फाइबर वाली डाइट में एक सीमा में ही फाइबर का सेवन करना होता है। इसका पालन करने वाले लोगों को प्रतिदिन सिर्फ 10-15 ग्राम फाइबर का ही सेवन करना होता है, जबकि स्वस्थ और पाचन की समस्याओं से ग्रस्त लोगो के लिए रोजाना 25 से 38 ग्राम फाइबर का सेवन जरूरी माना जाता है। इसका कारण है कि फाइबर शरीर को चलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किसे कम फाइबर वाली डाइट लेनी चाहिए?
डॉक्टर अक्सर कुछ स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों को कम फाइबर वाली डाइट को अपनाने को कहते हैं। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिन्हें क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे पाचन विकार हैं। इसके अलावा आंत सर्जरी के बाद भी कम फाइबर वाली डाइट का पालन करने को कहा जाता है। कीमोथेरेपी की प्रक्रिया से गुजर रहे लोगों और इलियोस्टोमी सर्जरी के बाद भी इस डाइट का पालन किया जाता है।
इस डाइट से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
कम फाइबर वाली डाइट पाचन तंत्र को आराम देती है और आंतों की परेशानी को कम करती है। इसके अतिरिक्त कुछ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्थितियों और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) से ग्रस्त लोगों के लिए कम फाइबर वाली डाइट का पालन करना फायदेमंद है। IBS बड़ी आंत से जुड़ी एक बीमारी है। यह डाइट आंत की जलन को कम करने में मदद कर सकती है और मल त्यागने की प्रक्रिया को सुधारने में सहायक हो सकती है।
कम फाइबर वाली डाइट में क्या-क्या खाया जा सकता है?
कम फाइबर वाली डाइट में चुनिंदा खान-पान की चीजें शामिल होती हैं, ताकि रोजाना फाइबर का सेवन 5-10 ग्राम से अधिक न हो। यह सीमा व्यक्ति की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के आधार पर भिन्न हो सकती है। इसके लिए आप अपनी डाइट में सफेद ब्रेड, सफेद चावल, रिफाइंड अनाज, सब्जियां जैसे खीरा, आलू, टमाटर, हरी प्याज और मूली आदि का सेवन कर सकते हैं। फलों में आप हनीड्यू तरबूज, अंगूर, चेरी और तरबूज खाने के अलावा दुग्ध उत्पाद ले सकते हैं।
कम फाइबर वाली डाइट के लोगों के लिए नुकसानदायक हैं ये चीजें
कम फाइबर वाली डाइट का पालन करने वाले लोगों को एक चीज से बचना होगा और वो हैं उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ। इसका कारण हैं कि ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। उच्च फाइबर की चीजों में ब्रोकोली, हरी बीन्स, प्याज, शकरकंद, फूलगोभी, केल, मटर, गाजर, शलजम, भिंडी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स शामिल होती हैं। इसके अलावा मूंगफली का मक्खन, सूखे मेवे, बीज, साबुत अनाज की ब्रेड और केले भी उच्च फाइबर के स्त्रोत हैं।
कम फाइबर वाली डाइट से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स
कम फाइबर वाली डाइट शुरू करने से पहले आहार विशेषज्ञ से सलाह लें। 'कम-फाइबर या 'फाइबर-मुक्त' लेबल वाले उत्पाद चुनें। फलों और सब्जियों का सेवन करने से पहले उनके छिलके हटा दें क्योंकि छिलकों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। भोजन को आसानी से पचाने योग्य बनाने के लिए उसे ठीक से पकाएं। बेहतर पाचन के लिए एक समय में भोजन के छोटे हिस्से का सेवन करें।
कम फाइबर वाली डाइट के नुकसान
यह डाइट अल्पकालिक उपचार के लिए अच्छी है और इसे स्थायी रूप से नहीं अपनाया जाना चाहिए। कई अध्ययनों से पता चलता है कि लंबे समय तक सीमित फाइबर सेवन से हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है, जबकि फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन आवश्यक खनिजों के अवशोषण को प्रभावित कर सकता है। स्वस्थ शरीर के लिए उचित पोषण का सेवन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यहां जानिए फाइबर की कमी से जुड़े शारीरिक संकेत।