#NewsBytesExplainer: मायावती ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासी पार्टी से क्यों किया गठबंधन?
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने आदिवासी पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) के साथ गठबंधन किया है।
इस गठबंधन को 2024 लोकसभा चुनाव और 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले एक नई सोशल इंजीनियरिंग के तौर पर भी देखा जा रहा है।
आइए BSP और GGP के गठबंधन के 'चुनावी गणित' को विस्तारपूर्वक समझते हैं।
बयान
मायावती ने क्या कहा?
सोमवार को चुनाव आयोग के मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में चुनाव के ऐलान के बाद BSP प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चुनावी गठबंधन को लेकर एक पोस्ट की।
उन्होंने लिखा, 'मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में BSP का GGP के साथ चुनावी समझौता हुआ है। इसके अलावा मिजोरम को छोड़कर, राजस्थान और तेलंगाना जैसे दोनों राज्यों में पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है और इन राज्यों में अच्छे नतीजों की उम्मीद है।'
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ेगा गठबंधन?
BSP और GGP के बीच सीट बंटवारे की व्यवस्था के अनुसार, मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से BSP 178 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि GGP केवल 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
मध्य प्रदेश चुनाव में अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 47 और अनुसूचित जाति (SC) के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं।
राज्य की कुल आबादी में दलित आबादी 17 प्रतिशत, जबकि आदिवासी आबादी 22 प्रतिशत से अधिक है।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के लिए क्या समझौता हुआ?
छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए बनी सहमति के अनुसार, राज्य की कुल 90 सीटों में से BSP 53 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि GGP 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
इस चुनाव में छत्तीसगढ़ में कुल 90 में से 10 और 29 सीटें क्रमश: SC और ST के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या में दलित आबादी 15 प्रतिशत, जबकि आदिवासी आबादी 32 प्रतिशत है।
चुनाव
क्यों अहम है GGP?
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में SC/ST मतदाता पारंपरिक रूप से भाजपा और कांग्रेस का समर्थन करते हैं। इन दोनों राज्यों में इसी वोटबैंक में सेंधमारी करने के लिए BSP ने GGP के साथ गठबंधन किया है।
मध्य प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में GGP का बहुत प्रभाव है। पार्टी लंबे समय से गोंड आदिवासियों के लिए अलग गोंडवाना राज्य की मांग का समर्थन करती आई है।
यहां बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, सिवनी, छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में गोंड आबादी काफी अधिक है।
गठंबधन
BSP को क्या फायदा हो सकता है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि BSP और GGP का गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव और उसके बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दलित और आदिवासी मतदाताओं को एकजुट करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि ये BSP का एक नया प्रयोग है और अगर ये गठबंधन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनावों में काम करता है तो भविष्य में पार्टी को उत्तर प्रदेश चुनाव में आदिवासी बहुल जिलों में भी फायदा हो सकता है।
चुनाव
पिछले चुनाव में दोनों पार्टियों का कैसा रहा था प्रदर्शन?
2018 के विधानसभा चुनावों में GGP मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी और उसके अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
इसके विपरीत BSP ने मध्य प्रदेश में 227 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 2 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि छत्तीसगढ़ में पार्टी ने 35 सीटों पर चुनाव लड़कर 2 सीटों पर जीत हासिल की।
पिछले चुनाव में दोनों राज्यों में BSP का वोट शेयर 8.89 प्रतिशत के करीब था।