ईको-एंग्जायटी क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और इलाज
क्या है खबर?
इंसानी गतिविधियों के कारण धरती गर्म (ग्लोबल वॉर्मिंग) हो रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन के खतरनाक और विनाशकारी दुषप्रभाव दुनियाभर में कई लोगों के मनोविज्ञान को प्रभावित कर रहे हैं।
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप, जंगल की आग, सुनामी, चक्रवात और तूफान आने की गति बढ़ी है जिससे लोगों में पर्यावरणीय तबाही का डर विकसित हो रहा है।
मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर इसे "ईको-एंग्जायटी" यानी पर्यावरण-चिंता कहते हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।
परिभाषा
इंसान और पर्यावरण के संबंधों पर आधारित है ईको-एंग्जायटी- शोध
ईको-एंग्जायटी को पृथ्वी के भविष्य और उस पर आश्रित जीवन के बारे में लगातार चिंता के रूप में परिभाषित किया गया है।
साल 2017 में अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (APA) ने ईको-एंग्जायटी को "पर्यावरण विनाश का एक पुराना डर" बताया था।
APA ने कहा कि इस प्रकार की चिंता खुद को पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), आघात, अवसाद, आक्रामकता, मादक पदार्थों का सेवन और निरंतर भय के रूप में पेश कर सकती है।
कारण
प्राकृतिक आपदाएं हैं ईको-एंग्जायटी की वजह
APA के अनुसार, हमारे ग्रह पर गंभीर परिणाम वाले पर्यावरणीय मुद्दे लोगों में मनोवैज्ञानिक भय उत्पन्न कर रहे हैं।
अत्यधिक गर्मी और ठंड की लहरें, जंगल की आग, चक्रवात, आंधी और ज्वार की लहरें जैसी मौसमी घटनाएं इस भय का कारण बन सकती हैं।
इसके अलावा समुद्र में लगातार बढ़ता कचरा, जल संकट, जंगलों की कटाई, प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग भी ईको-एंग्जायटी का कारण बन सकता है।
लक्षण
क्या हैं ईको-एंग्जायटी के लक्षण?
ईको-एंग्जायटी के लक्षणों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है- शारीरिक, मानसिक और सामुदायिक।
शारीरिक लक्षणों में एलर्जी, फिटनेस में बदलाव और कमजोर इम्युनिटी जैसे लक्षण शामिल हैं।
मानसिक लक्षणों में तनाव, PTSD, नुकसान की भावना, नियंत्रण का डर, घबराहट, भूख में बदलाव और नींद की गड़बड़ी जैसे लक्षण शामिल हैं।
वहीं सामुदायिक स्तर के लक्षणों में सामाजिक अस्थिरता, सामाजिक सामंजस्य, आक्रामकता और हिंसा का डर आदि शामिल है।
इलाज
ईको-एंग्जायटी पर काबू पाने के लिए अपनाएं ये चीजें
किसी भी अन्य प्रकार के चिंता विकार की तरह ईको-एंग्जायटी पर भी काबू पाया जा सकता है।
सबसे पहले अपनी परेशानी और लक्षणों के बारे में बताने के लिए अच्छे मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क करें। वह इससे निपटने में आपकी मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के प्रयास में अधिक योगदान करके और एक स्थायी जीवनशैली को बढ़ावा देकर आप अपने अपराधबोध को भी कम कर सकते हैं।