बसंत पंचमी: देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे मनाया जाता है यह त्यौहार
क्या है खबर?
बसंत पंचमी का त्योहार इस साल 14 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन देशभर में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था।
बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आगमन होता है। इस दौरान फसलें लहलहाने लगती हैं और बगीचों में बहार आ जाती है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है।
#1
बिहार
बिहार में सरस्वती माता की विशेष अराधना की जाती है।
यहां बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं और माथे पर हल्दी का तिलक लगाते हैं।
इस पर्व पर लोक गीत गाये जाते हैं और नृत्य भी होता है। यहां मां सरस्वती को मालपुए और सादी बेसन की पकौड़ी भोग में चढ़ाई जाती है। कई लोग इस दिन पीली खिचड़ी भी खाते हैं।
#2
उत्तराखंड
उत्तराखंड बेहद खूबसूरत पहाड़ी राज्य है। यहां बसंत पंचमी के दिन लोग फूल, पत्ते और पलाश की लकड़ी चढ़ाकर देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। माता सरस्वती के साथ उत्तराखंड के लोग भगवान शिव और मां पार्वती की भी स्तुति करते हैं।
बसंत पंचमी पर यहां लोग पीले वस्त्र पहनते हैं। इसके अलावा वे पीले रुमाल का इस्तेमाल भी करते हैं। यहां पारंपरिक केसर हलवा बनाया जाता है और पतंग उड़ाकर जश्न मनाया जाता है।
#3
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है। यहां हर पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा होती है। भक्त मां को पीले पुष्प, पीले चावल और पीले वस्त्र चढ़ाते हैं।
संगीत की देवी के चरणों में अपने वाद्य यंत्र अर्पित किए जाते हैं। मां को पीली मिठाई चढ़ती है। छात्र अपनी किताबों को भी पूजते हैं।
#4
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य है, जहां हर त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। अन्य पर्वों की तरह यहां बसंत पंचमी पर भी पूजा के लिए बड़े पंडाल लगाये जाते हैं।
माता सरस्वती को पलाश के फूल, पीले चावल और बूंदी के लड्डू अर्पित किए जाते हैं। इस दिन बंगाल में हाथेखोड़ी समारोह का आयोजन किया जाता है।
हाथेखोड़ी समारोह में छोटे बच्चों को पहली बार चॉक या पेंसिल पकड़ाकर लिखना सिखाया जाता है।
#5
पंजाब और हरियाणा
पंजाब और हरियाणा सबसे उल्लसित लोगों के राज्य हैं। इन दोनों ही राज्यों में बसंत पंचमी महत्वपूर्ण पर्व होती है। इस दिन जल्दी जाग कर लोग स्नान करते हैं, जिसके बाद वे मंदिर या गुरूद्वारे जा कर माथा टेकते हैं।
यहां पतंगबाजी की जाती है और लोक गीतों पर नृत्य होता है। मक्के की रोटी और सरसों का साग, खिचड़ी और मीठे चावल जैसे व्यंजन पकाए जाते हैं।