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कब है बसंत पंचमी? जानिए महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त 

कब है बसंत पंचमी? जानिए महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त 

लेखन सयाली
Jan 25, 2024
12:12 pm

क्या है खबर?

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पावन पर्व मां सरस्वती को समर्पित है। इसी दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है। इस पर्व के साथ वसंत ऋतु का आगमन भी हो जाता है। आइए बसंत पंचमी से संबंधित अहम बातें जानते हैं।

#1

बसंत पंचमी का महत्व 

माता सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह दिन छात्र-छात्राओं के लिए काफी खास होता है। ऐसा माना जाता है जो भी छात्र इस दिन माता की पूजा करते हैं, उन्हें अपार सफलता प्राप्त होती है। इसी कारण इस दिन स्कूलों में भी माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

#2

कब है बसंत पंचमी का पर्व? 

प्रत्येक वर्ष श्रीपंचमी का पर्व माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी 14 फरवरी, 2024 को मनाई जाएगी। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी दिन देवी सरस्वती श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुईं थीं। उन्होंने अपने हाथों में वीणा, माला और पुस्तक धारण की थी। तभी बसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा की जाती है।

#3

पूजा का मुहूर्त 

माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि प्रारंभ- 13 फरवरी, 2024 को दोपहर 3 बजकर 41 मिनट से माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि समापन- 14 फरवरी, 2024 को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर सरस्वती पूजा तिथि- 14 फरवरी, 2024 सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 14 फरवरी, 2024 को सुबह 7 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक

#4

ऐसे करें माता सरस्वती की आराधना 

बसंत पंचमी पर सूर्योदय से पूर्व स्नान और दान करना चाहिए। पूजा स्थल को साफ करें। एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर पीले फूलों से सजावट करें। इस चौकी पर देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। धूप-दीप भी प्रज्वलित करें। सबसे पहले श्री गणेश की स्तुति करें, फिर देवी सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र, पीला पुष्प, पीला चंदन, केसर और पीला अक्षत अर्पित करें। विद्यार्थी अपनी पुस्तकें सरस्वती जी के चरणों में रखें। अब देवी सरस्वती की स्तुति करें।

जानकारी

माता सरस्वती का पूजन मंत्र

सरस्वती महाभागे, विद्या कमललोचने, विश्वरूपे विशालाक्षी विद्यां देहि विद्यांवरे। इसके उपरांत हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर निम्न मंत्र का जाप करें और मां के चरणों में अर्पित करें: ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ।