नाड़ी शोधन: बेहद लाभदायक है यह प्राणायाम, जानिए इसके अभ्यास का तरीका और अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
नाड़ी शोधन प्राणायाम मुख्य प्राणायामों में से एक है। अगर इसका नियमित तौर पर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो यह शरीर की अशुद्धियों को दूर करने और सेहतमंद रखने में मदद करता है।
इसके अलावा यह प्राणायाम मन और दिमाग को शांत रखने के साथ-साथ कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी दे सकता है।
आइए आज हम आपको इस प्राणायाम के अभ्यास का तरीका और इससे संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
अभ्यास
नाड़ी शोधन प्राणायाम के अभ्यास का तरीका
योगा मैट पर पद्मासन में बैठकर अपने दाएं हाथ की पहली दो उंगलियों को माथे के बीचों-बीच रखें।
अब अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें और फिर अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें।
इस दौरान अपने बाएं हाथ को घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें और दोनों आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान दें। कुछ देर बाद प्राणायाम छोड़ दें।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपको ज्यादा देर तक बैठने में परेशानी होती है तो आप यह प्राणायाम लेटकर या खड़े होकर भी कर सकते हैं।
हृदय रोग या फिर अस्थमा से ग्रसित लोगों को नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्हें इससे फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा हो सकता है।
इसके अलावा इस प्राणायाम का अभ्यास करते समय नाक से ही सांस लें और मुंह से सांस लेने का प्रयास न करें।
फायदे
नाड़ी शोधन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
यह प्राणायाम शरीर की समस्त नाड़ियों का शुद्धिकरण करता है जिससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बेहतर तरीके से होता है।
इस प्राणायाम से पूरे शरीर को सही मात्रा ऑक्सीजन पहुंचती है।
इससे मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
यह प्राणायाम शांति, विचारों में स्पष्टता और एकाग्रता को बेहतर करने में भी सहायक है।
यह मन और शरीर के तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में भी मदद करता है।
टिप्स
नाड़ी शोधन प्राणायाम के अभ्यास से जुड़ी विशेष टिप्स
अगर आप पहली बार इस प्राणायाम का अभ्यास करने जा रहे हैं तो सबसे पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें और इसके बाद ही इसका अभ्यास करें।
बेहतर होगा कि आप इस प्राणायाम का अभ्यास सुबह आठ बजे से पहले करें क्योंकि इससे आपको प्राणायाम का भरपूर फायदा मिल सकता है।
इस प्राणायाम का अभ्यास करते समय सांस लेने और छोड़ने में अधिक जोर न लगाएं।