
नामीबिया के चीतों का आवास बना कूनो नेशनल पार्क, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को आजाद किया था।
इन चीतों को भारत लाने का उद्देश्य देश में विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा बसाना है।
अगर आप इन चीतों और अन्य वन्यजीवों को नजदीक से देखने के लिए कूनो नेशनल पार्क घूमना जाना चाहते हैं तो आइए आज आपको यहां आसानी पहुंचने से लेकर कई महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखिए चीतों को पिंजरों से आजाद करने का वीडियो
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi releases the cheetahs that were brought from Namibia this morning, at their new home Kuno National Park in Madhya Pradesh.
— ANI (@ANI) September 17, 2022
(Source: DD) pic.twitter.com/CigiwoSV3v
कारण
कूनो नेशनल पार्क में ही क्यों लाए गए चीते?
नामीबिया के चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क को इसलिए मुफीद माना गया क्योंकि यहां का माहौल नामीबिया के जंगल से मिलता-जुलता है।
यहां घास के मैदान, पर्याप्त पानी और पहाड़ियां भी हैं, जो इसे चीते के लिए अनुकूल आवास बनाते है। इसके अतिरिक्त यहां छोटे हिरण, सांभर और चीतल आदि ज्यादा है, जिनके शिकार से चीते जिंदा रहते हैं।
बता दें कि इन चीतों नामीबिया की राजधानी विंडहोक से बोइंग के विशेष 747-400 कार्गो विमान में लाया गया है।
इतिहास
कूनो नेशनल पार्क का इतिहास
मध्य प्रदेश की विंध्यांचल पर्वत श्रृंखला पर श्योपुर और मुरैना जिले में बसे कूनो वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1981 में हुई थी।
साल 2018 में सरकार ने इसे नेशनल पार्क का दर्जा दिया था। तब इसका क्षेत्रफल 344.68 वर्ग किलोमीटर था, लेकिन बाद में इसमें और इलाके जोड़े गए।
अब इस 750 वर्ग किलोमीटर तक फैले प्राचीन जंगल में पुराने खंडहर, कूनो नदी, झाड़ियां, जंगली पेड़ और हरे-भरे घास के मैदान आदि बहुत कुछ है।
राह
कैसे जाएं कूनो नेशनल पार्क?
कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले से लगभग 64 किलोमीटर दूर है, लेकिन यहां के लिए दिल्ली से ट्रेन मिलना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसलिए रोड के जरिए अपनी कार या टैक्सी से यहां पहुंचे।
वहीं, कूनो के लिए निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर हवाई अड्डा है, जो मुरैना से 40 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी लेकर आप आसानी से नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं।
क्या आप जानते हैं?
कूनो नेशनल पार्क पहुंचने पर कहां ठहरें?
कूनो नेशनल पार्क के आस-पास कई होटल, होम स्टे और रिसॉर्ट हैं, जिन्हें आप अपनी सुविधा अनुसार चुन सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यहां जंगल रिसॉर्ट और लग्जरी होटल्स भी हैं, जहां ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।
समय
कूनो नेशनल पार्क घूमने और जंगल सफारी का सही समय
कूनो नेशनल पार्क को घूमने का सबसे सही समय नवंबर के मध्य से मार्च के मध्य तक माना जाता है।
वहीं, यहां पहुंचकर आप वन्यजीव नजदीक से देखने के लिए जंगल सफारी का भी लुत्फ उठा सकते हैं।
यहां जंगल सफारी दिन में दो बार होती है, जिसमें से पहली का समय सुबह 6 बजे से 9 बजे तक है, जबकि दूसरी का समय शाम 4 बजे से शाम 6 बजे तक है।
जानकारी
कूनो के पर्यटन स्थल
कूनो जाएं तो यहां के पर्यटनों स्थल जैसे देव खोई, आमझीरो, भंवर खो, मराठा खोस, दौलतपुरा, देव कुंडी, जैन मंदिर, नटनी खो, रणसिंह बाबा मंदिर और धोरेत मंदिर आदि का भी जरूर रुख करें।