सुप्रीम कोर्ट का बुलडोजर कार्रवाई पर रोक से इनकार, कहा- कम होगी नगर निकायों की ताकत
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
इसमें कोर्ट ने सभी राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने का व्यापक आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण ध्वस्त करने की प्रक्रिया में सामान्य प्रतिबंध आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। इससे स्थानीय नगर निकायों के अधिकारों में कमी आएगी। अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश में हिंसा के बाद शुरू हुई थी बुलडोजर की कार्रवाई
बता दें कि भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा के एक टीवी कार्यक्रम के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के बाद कानपुर में हिंसा भड़क गई थी।
इसी तरह गत शुक्रवार को मुस्लिम समाज के लोगों ने जुमे की नमाज के बाद प्रयागराज, हाथरस और सहारनपुर आदि जिलों में हिंसक प्रर्दशन करते हुए पुलिस पर पथराव किया था।
उसके बाद सरकार ने आरोपियों की अवैध संपतियों पर बुलडोजर कार्रवाई शुरू कर दिया था।
याचिका
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका
उत्तर प्रदेश सरकार की इस बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे पूरी तरह अवैध ठहराया था और कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को राज्य में संपत्तियों का कोई और विध्वंस उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना न किए जाने के निर्देश देने की मांग की थी।
इसको लेकर कोर्ट ने 16 जून को उत्तर प्रदेश सरकार से हलफनामा मांगा था।
हलफनामा
उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामे में कही नियमों का पालन करने की बात
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर कार्रवाई को नियमित अभ्यास बताया है।
इसी तरह सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कोई व्यक्ति किसी मामले में आरोपी है, सिर्फ इसलिए उसके अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई नहीं रोकी जा सकती है।
याचिकाकर्ताओं को केवल अखबार की खबरों के आधार पर सरकार के खिलाफ अदालत में अपना पक्ष नहीं रखना चाहिए।
दलील
याचिकाकर्ता के वकील ने दी यह दलील
याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि सरकार दंगा करने के आरोप में एक समुदाय विशेष को चुनकर कार्रवाई कर रही है। कोई किसी अपराध में आरोपी है तो उसके घरों को गिराने की कार्रवाई स्वीकार नहीं हो सकती। वह कानून के शासन से चलते हैं।
उन्होंने कहा घरों को गिराने के लिए नगर निगमों का फायदा उठाना सही नहीं है। सांप्रदायिक घटना के बाद बुलडोजर कार्रवाई करना एक एक प्रारूप बन गया है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है।
बयान
"देश में सिर्फ एक ही समुदाय"
याचिकाकर्ता के वकील दलीलों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "देश में कोई दूसरा समुदाय नहीं है। सिर्फ एक ही समुदाय है, जिसे हम भारतीय कहते हैं। अवैध निर्माण की कार्रवाई सबके लिए समान तरीके से होती है।"
इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने किया बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस बीआर गवई और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, "नियम का पालन होना चाहिए। इसमें कोई विवाद नहीं है। यदि निकाय के नियमों के मुताबिक निर्माण अवैध है तो फिर हम कैसे उसे गिराने से रोकने के लिए अधिकारियों को आदेश दे सकते हैं।"
कोर्ट ने कहा, "बुलडोर कार्रवाई पर रोक का व्यापक आदेश जारी करने से देश के स्थानीय नगर निकायों के अधिकारों में कमी आएगी।"
नोटिस
मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार को भी जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "नगर निगम के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं हो सकता है। मामले के आधार पर इसकी जांच की जानी चाहिए और दोषी मिलने पर कार्रवाई आवश्यक है।"
इस दौरान कोर्ट ने मध्य प्रदेश और गुजरात में की गई बुलडोजर कार्रवाई को लेकर भी दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं। अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त के लिए निर्धारित की गई है।