फ्लेवोनोइड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाने से बेहतर होगा आपका स्वास्थ्य, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
स्वस्थ रहने के लिए हर पोषक तत्व का सेवन जरूरी होता है, फिर चाहे वह कार्ब्स हो या प्रोटीन। हालांकि, एक हालिया अध्ययन से सामने आया है कि फ्लेवोनोइड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से सेहतमंद रहने में मदद मिल सकती है। इसके मुताबिक, लोगों को खान-पान में विभिन्न प्रकार के फ्लेवोनोइड को शामिल करना चाहिए, जिससे उनकी कुल मात्रा बढ़ जाती है। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
फ्लेवोनोइड
पहले जानिए क्या होते हैं फ्लेवोनोइड?
फ्लेवोनोइड पौधे आधारित यौगिकों का एक बड़ा समूह है, जो फलों, सब्जियों और अन्य पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। ये तत्व अपने एंटीऑक्सीडेंट और सूजनरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। आपको फल, दाल, चाय और मेवे आदि के जरिए फ्लेवोनोइड मिल जाएंगे। पुराने अध्ययनों के मुताबिक, ये यौगिक मधुमेह, कैंसर और श्वसन संबंधी रोग के इलाज में मददगार होते हैं।
अध्ययन
क्या था इस अध्ययन का उद्देश्य?
इस अध्ययन को नेचर फूड नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसका उद्देश्य डाइट में फ्लेवोनोइड सेवन की विविधता के प्रभाव का विश्लेषण करना था और मृत्यु दर व रोग जोखिम के साथ इसके सेवन के संबंधों का अनुमान लगाना था। इससे सामने आया कि फ्लेवोनोइड का सेवन बढ़ाने से स्वास्थ्य परिणाम बेहतर होते हैं। यह अध्ययन कई प्रकार के फ्लेवोनोइड खाने और उनकी कुल मात्रा बढ़ाने के प्रभावों को दर्शाता है।
प्रतिभागी
अध्ययन में शामिल हुए लाखों लोग
इस अध्ययन में 40 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले लगभग 124,805 व्यसकों ने भाग लिया, जो अमेरिका के निवासी हैं। प्रतिभागियों में करीब 56 प्रतिशत महिलाएं थीं, जिनकी संख्या पुरुषों से ज्यादा था। सभी प्रतिभागियों में से 10 प्रतिशत से कम लोग धूम्रपान करते थे, लेकिन 60 प्रतिशत का वजन ज्यादा था यानि वे मोटे थे। इनमें से 4 प्रतिशत को मधुमेह, 25 प्रतिशत को उच्च ब्लड प्रेशर और 15 प्रतिशत को उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या थी।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
इन प्रतिभागियों की औसत फ्लेवोनोइड खपत 792 मिलीग्राम/दिन थी, जिसमें रोजाना 9 फ्लेवोनोइड का सेवन किया जाता था। इनमें से फ्लेवन-3-ओल्स सबसे ज्यादा मात्रा (87 प्रतिशत) में खाया जाता था। एंथोसायनिन, फ्लेवोनोल्स और फ्लेवनोन्स का हिस्सा 4.5 प्रतिशत था, जबकि फ्लेवोन्स का हिस्सा एक प्रतिशत ही था। काली या हरी चाय में सबसे ज्यादा फ्लेवोनोइड (67 प्रतिशत) मौजूद थे। वहीं, सेब में 6 प्रतिशत और रेड वाइन में 5 प्रतिशत फ्लेवोनोइड थे।
निष्कर्ष
फ्लेवोनोइड की विविधता से मौत का जोखिम हुआ कम
अंगूर और जामुन जैसे खाद्य पदार्थों में 2 प्रतिशत फ्लेवोनोइड पाए गए। संतरे, संतरे का रस और डार्क चॉकलेट ने एक-एक प्रतिशत का योगदान दिया। कुल मिलाकर, ये सभी खाद्य पदार्थ मिलकर फ्लेवोनोइड की मात्रा को 85 प्रतिशत तक ले गए। जो लोग अलग-अलग प्रकार के फ्लेवोनोइड ले रहे थे, उनमें सभी कारणों से होने वाली मृत्यु का जोखिम 14 प्रतिशत कम था। इनमें हृदय रोग का जोखिम 10 प्रतिशत और टाइप 2 मधुमेह का जोखिम 20 प्रतिशत कम था।