खून और पेशाब की जांच से हो सकता है आपके जंक फूड सेवन का खुलासा- अध्ययन
क्या है खबर?
जंक फूड का स्वाद सभी को पसंद होता है, लेकिन उसके सेवन के नकारात्मक प्रभावों से भी सभी वाकिफ हैं।
इस तरह का भोजन अधिक मसालेदार और तला-भुना होता है, जो स्वास्थ्य को बिगाड़ता है। शोध बताते हैं कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ शरीर में रासायनिक अवशेष छोड़ते हैं।
इसी कड़ी में एक अध्ययन किया गया है, जिसमें खुलासा हुआ है कि पेशाब और खून के जरिए पता लग सकता है कि डाइट में जंक फूड शामिल था या नहीं।
अध्ययन
NIH ने किया था यह अध्ययन
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन को पूरा किया है, जिसके लिए यंत्र अधिगम यानि मशीन लर्निंग का उपयोग किया गया था।
इस तकनीक के जरिए सैकड़ों मेटाबोलाइट्स की पहचान की गई, जो प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।
इस अध्ययन के जरिए खुलासा हुआ है कि लोगों के पेशाब और खून के नमूनों से उनके जंक फूड के सेवन का पता लगाया जा सकता है।
तरीका
718 लोगों का डाटा जमा करके पूरा हुआ अध्ययन
अमेरिका के मैरीलैंड स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्था की एरिका लोफ्टफील्ड ने इस अध्ययन का नेतृत्व किया था।
उनकी टीम ने एक 'बायोमार्कर स्कोर' विकसित किया है, जो रक्त और मूत्र में मेटाबोलाइट माप के आधार पर अल्ट्रा प्रोसेस्ड भोजन के सेवन को मांपता है।
शोधकर्ताओं ने 718 वृद्ध लोगों का डाटा जमा किया था और उनके मूत्र और रक्त के नमूने लिए थे। साथ ही 12 महीने तक उनकी खान-पान की आदतों पर नजर रखी गई थी।
डाइट
2 हफ्तों तक प्रतिभागियों को खिलाया गया था जंक फूड
खाने की आदतों पर नजर रखने के बाद उन्होंने 20 लोगों पर एक छोटा-सा नैदानिक परीक्षण भी किया। 2 हफ्तों तक सभी ने अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से भरपूर डाइट ली और अगले 2 हफ्तों तक पौष्टिक भोजन खाया।
लोफ्टफील्ड ने बताया, "हमने पाया कि सैकड़ों सीरम और मूत्र मेटाबोलाइट्स अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाने से प्राप्त ऊर्जा से संबंधित थे।"
NIH के अनुसार, अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में ज्यादा कैलोरी और कम पोषक तत्व होते हैं।
नतीजे
अल्ट्रा प्रोसेस्ड भोजन बढ़ा देता है कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा
अध्ययन के जरिए पता चला है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड भोजन खाने से पुरानी बीमारियों, मोटापे और विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।
इस नई रक्त और मूत्र परीक्षण प्रक्रिया का उपयोग करके बीमारियों को कम करने में मदद मिलती है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इस नई प्रक्रिया को इस्तेमाल करने से पहले और परीक्षण की जरूरत पड़ेगी।
फिलहाल, बुजुर्गों के अलावा अन्य आयु वर्ग के लोगों पर जांच करने की जरूरत होगी।