स्तन कैंसर के विकास को रोककर जीवन को लंबा बना सकती है नई ट्रिपल थेरेपी- अध्ययन
क्या है खबर?
स्तन कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें स्तन ऊतक में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, जिससे ट्यूमर बन जाता है।
यह कैंसर का एक गंभीर प्रकार है, लेकिन अगर समय पर इसका इलाज किया जाए तो मरीजों का जीवन बचाया जा सकता है।
इसी कड़ी में अब एक नया अध्ययन किया गया है, जिससे सामने आया है कि एक नई ट्रिपल थेरेपी स्तन कैंसर के विकास को कम कर सकती है और इलाज में मदद कर सकती है।
अध्ययन
कीमोथेरेपी की जरूरत को भी टालती है यह थेरेपी
यह क्रांतिकारी अध्ययन 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
साथ ही इसे शिकागो में हुई अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी (Asco) की बैठक में भी प्रस्तुत किया गया था।
शोध से पता चला है कि एक नई ट्रिपल थेरेपी स्तन कैंसर की प्रगति को धीमा कर देती है, आगे की कीमोथेरेपी की आवश्यकता को टालती है और रोगियों को लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करती है।
प्रक्रिया
अध्ययन में शामिल थे 28 देशों के मरीज
इस अध्ययन में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, ब्राजील, फ्रांस और जर्मनी सहित 28 देशों के 325 मरीज शामिल थे।
इसमें ट्रिपल थेरेपी की PIK3CA-उत्परिवर्तित HR+, HER2- स्तन कैंसर को खत्म करने की क्षमता को प्रदर्शित किया गया, जो लगभग 70% रोगियों में होता है।
INAVO120 परीक्षण ने एक उपचार की पहचान की है, जो अनुपचारित PIK3CA-उत्परिवर्तित हार्मोन रिसेप्टर-पॉजिटिव मेटास्टेटिक स्तन कैंसर के रोगियों के इलाज में मदद करेगा और उन्हें जीवन दान देगा।
उपचार
क्या है यह नई थेरेपी?
यह नया उपचार 2 दवाओं और एक थेरेपी के संयोजन से बना है, जो कि इनावोलीसिब, पालबोसिक्लिब और हार्मोन थेरेपी फुलवेस्ट्रेंट हैं।
जिन मरीजों को पालबोसिक्लिब और फुलवेस्ट्रेंट दी गई थीं, उनकी जीवित रहने की संभावना औसतन 7 महीने तक बढ़ गई थी।
इस उपचार ने स्तन कैंसर की प्रगति को औसतन 17.2 महीने तक धीमा कर दिया। साथ ही इनावोलीसिब लेने वाले मरीज कीमोथेरेपी उपचार को लगभग 2 साल तक टालने में सक्षम थे।
थेरेपी
इस थेरेपी से कम होता है कैंसर का विकास
अध्ययन के नतीजों से यह भी सामने आया कि ट्रिपल थेरेपी लेने वाले 62.7 प्रतिशत रोगियों के कैंसर के विकास में काफी कमी आई है।
यह नई दवा 'इनावोलीसिब' PIK3CA प्रोटीन की गतिविधि को रोकने का काम करती है। इस थेरेपी से ज्यादातर मरीजों को फायदा ही पहुंचा है, लेकिन कुछ रोगियों को इसके दुष्प्रभाव भी झेलने पड़े हैं।
इस कारण उन्हें यह ट्रीटमेंट देना बंद कर दिया गया है। इस अध्ययन ने कैंसर चिकित्सा को नया आयाम दिया है।