हीट स्ट्रोक बनाम फूड पॉइजनिंग: जानिए दोनों के बीच का अंतर और अन्य जरूरी बातें
गर्मी की लहर आपके पाचन तंत्र पर कहर बरपा सकती है। डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और आहार संबंधी बदलाव सबसे गर्म महीनों के दौरान आपके पेट के स्वास्थ्य को बाधित करने का कारण बनते हैं। इससे हीट स्ट्रोक हो सकता है या फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, गर्मियों के दौरान इन दोनों स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बीच फर्क करना मुश्किल होता है। आइए जानते हैं हीट स्ट्रोक और फूड पॉइजनिंग के बीच का अंतर और अन्य जरूरी बातें।
क्या होता है हीट स्ट्रोक?
हीट स्ट्रोक गर्मी के दौरान होने वाली एक गंभीर समस्या है, जिसे लू लगना भी कहते हैं। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता है। इसमें शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है, पसीना तंत्र विफल हो जाता है और शरीर ठंडा नहीं हो पाता है। हीट स्ट्रोक होने पर शरीर का तापमान 10 से 15 मिनट के भीतर ही 106°F या इससे अधिक तक बढ़ सकता है।
क्या होती है फूड पॉइजनिंग की समस्या?
फूड पॉइजनिंग बैक्टीरिया, वायरस या विषाक्त पदार्थों से दूषित भोजन के कारण होने वाली बीमारी है। जब आप अस्वस्थ जगह पर खान-पान करते हैं या दूषित भोजन खा लेते हैं तो आपको फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इस बीमारी के लक्षणों में ऐंठन, मतली, उल्टी या दस्त आना शामिल हो सकते हैं। इससे पीड़ित अधिकांश लोग बिना इलाज के कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। आप फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए ये घरेलु नुस्खे अपना सकते हैं।
जानें हीट स्ट्रोक और फूड पॉइजनिंग के लक्षणों के बीच का अंतर
हीट स्ट्रोक के लक्षणों में शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है, मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, अधिक गर्मी लगती है, दिल की धड़कन तेज हो जाती है और बेहोशी आ सकती है। वहीं, फूड पॉइजनिंग होने पर लोगों को बेचैनी होती है, उल्टी या मतली आती है, पेट में दर्द होता है या दस्त आ सकते हैं। दोनों समस्याओं में डिहाइड्रेशन होता है, लेकिन हीट स्ट्रोक में पसीना आना बंद हो जाता है।
कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में हो सकता है अधिक खतरा
शिशुओं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों को गर्मी से होने वाली बीमारियों का खतरा अधिक होता है। साथ ही हृदय रोग, लिवर या गुर्दे की बीमारी वाले व्यक्तियों और दवाओं का सेवन करने वालों को फूड पॉइजनिंग होने का ज्यादा खतरा रहता है। इन लोगों में शरीर के तापमान को नियंत्रित करने या गर्मी के अनुकूल रहने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे गर्मी की लहर के दौरान उन्हें हीट स्ट्रोक, अंग की शिथिलता और मृत्यु का खतरा होता है।
इन बीमारियों से बचने के असरदार टिप्स
आप गर्मी के बीच इन दोनों समस्याओं से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। दिन के सबसे गर्म घंटों के दौरान अपने घर में ही रहें और अधिक थकाने वाली गतिविधियां करने से बचें। साफ और स्वच्छ स्थानों पर ही भोजन करें और सुनिश्चित करें की खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की गुणवत्ता अच्छी हो। आपको शरीर को ठंडा रखने के लिए ताजगी देने वाले पेय और खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करना चाहिए।