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    कार्बन उत्सर्जन: 1 प्रतिशत अमीरों की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत गरीबों से अधिक
    कार्बन उत्सर्जन में अमीरों की सबसे अधिक हिस्सेदारी सामने आई है

    कार्बन उत्सर्जन: 1 प्रतिशत अमीरों की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत गरीबों से अधिक

    लेखन अंजली
    Nov 20, 2023
    06:34 pm

    क्या है खबर?

    कार्बन उत्सर्जन की अधिक मात्रा जलवायु परिवर्तन का कारण बनती है, जिसके कारण ध्रुवीय बर्फ का पिघलना, समुद्र स्तर में वृद्धि, जानवरों के प्राकृतिक आवास में गड़बड़ी और तेजी से मौसम बदलना आदि घटनाएं होती हैं।

    अब इसे लेकर ऑक्सफैम नामक संगठन की एक रिपोर्ट ने भयावह सच्चाई को उजागर किया है।

    इसके मुताबिक, वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में 1 प्रतिशत अमीरों की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत गरीबों से अधिक है।

    आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

    परिणाम

    सबसे अमीर 7.7 करोड़ लोग करते हैं 16 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन

    ब्रिटिश अखबार द गार्जियन, ऑक्सफैम और स्टॉकहोम पर्यावरण संस्थान की रिपोर्ट में यह सामने आया कि सबसे अमीर 7.7 करोड़ लोगों ने 2019 में 5.9 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित की, जो कुल उत्सर्जन का 16 प्रतिशत है।

    अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 'मृत्यु दर' के फॉर्मूले की मानें तो कार्बन उत्सर्जन की इस मात्रा से उत्पन्न गर्मी से आने वाले दशकों में 13 लाख से अधिक मौतें हो सकती हैं।

    कार्बन उत्सर्जन

    गरीब लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ता है कार्बन उत्सर्जन का प्रतिकूल प्रभाव

    कार्बन उत्सर्जन का सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव हाशिए पर रहने वाले समुदायों, गरीब व्यक्तियों और प्रवासियों पर पड़ता है।

    आर्थिक और भौतिक सुरक्षा के अभाव के कारण उन्हें बाढ़, सूखा, लू और जंगल की आग जैसी चरम मौसमी घटनाओं का खामियाजा भुगतना पड़ता है।

    संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चरम मौसम से संबंधित 91 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होती हैं, जहां जलवायु संकट और बढ़ रहा है।

    जीवनशैली

    सबसे अमीर 12 लोग करते हैं 21 लाख घरों जितना उत्सर्जन

    रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। इसके अनुसार, जेफ बेजोस, रोमन अब्रामोविच और बिल गेट्स सहित दुनिया के 12 सबसे अमीर लोग अपने जहाजों निजी जेट, हवेली और वित्तीय निवेशों से जितना उत्सर्जन करते हैं, वो 21 लाख घरों से होने वाले वार्षिक उत्सर्जन से भी अधिक है।

    ये लोग साल में 1.7 करोड़ टन कार्बन और ग्रीनहाउस उत्सर्जन करते हैं। 21 लाख घरों को कोयला आधारित संयंत्रों से बिजली प्रदान करने पर भी इतना उत्सर्जन होगा।

    प्रभाव

    कार्बन उत्सर्जन में अमीरों और राजनीति की मिलीभगत उजागर करती है रिपोर्ट

    व्यक्तिगत कार्बन उत्सर्जन के अलावा यह रिपोर्ट वैश्विक उत्सर्जन को बनाए रखने में 'प्रदूषक अभिजात वर्ग' और राजनीति की मिलीभगत को उजागर करती है।

    अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में निवेश करने वाले ये अरबपति मीडिया स्वामित्व, सामाजिक नेटवर्क, लॉबिंग और राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंधों के माध्यम से राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और उनका ये प्रभाव कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगाने के प्रयासों में बाधा डालता है।

    जानकारी

    कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए दी गई ये सलाह

    ऑक्सफैम ने उत्सर्जन को कम करने के लिए अमीरों पर धन कर और जीवाश्म ईंधन कंपनियों पर अप्रत्याशित कर लगाने का सुझाव दिया है। इस रणनीति का उद्देश्य सबसे अधिक प्रभावित लोगों का समर्थन करना और नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन के लिए धन जुटाना है।

    असमानता

    राष्ट्रीय सीमाओं से परे असमानता 

    यह रिपोर्ट अमीर और गरीब देशों के बीच कार्बन उत्सर्जन के अंतर को भी कुछ हद तक उजागर करती है।

    साल 2019 में उच्च आय वाले देश 40 प्रतिशत वैश्विक उपभोग-आधारित CO2 उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार थे, जबकि कम आय वाले देशों से मात्र 0.4 प्रतिशत उत्सर्जन हुआ।

    इसी तरह हर 6 में से एक व्यक्ति का घर अफ्रीका का भी कुल उत्सर्जन में केवल 4 प्रतिशत योगदान था।

    अमीर देशों में भी अमीर और गरीब लोगों में अंतर रहा।

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