ईटिंग डिसऑर्डर क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और इलाज
ईटिंग डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। इससे पीड़ित व्यक्ति कभी तो जरूरत से ज्यादा खाने लगता है तो कभी बहुत ही कम खाता है। इतना कम कि उसका वजन कम हो जाता है। यह बीमारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करती है। इस स्थिति के पीछे के कारण पता नहीं हैं, लेकिन कुछ पहलू इसे जन्म दे सकते हैं। चलिए फिर आज इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जानते हैं।
ईटिंग डिसऑर्डर के प्रकार
एनोरेक्सिया नर्वोसा: इससे पीड़ित लोग वजन बढ़ने के डर से खुद को लगातार भूखा रखते हैं। बुलिमिया नर्वोसा: इससे पीड़ित लोगों को ज्यादा खाने की इच्छा होती है। बिंज ईटिंग डिसऑर्डर: इसके मरीज हर समय खाने पर नियंत्रण खो देते हैं। रुमिनेशन डिसऑर्डर: इससे पीड़ित लोग भोजन को चबाकर या तो निगल लेते हैं या थूक देते हैं। अवॉइडेंट रेस्ट्रिक्टिव फूड इनटेक डिसऑर्डर: इसके रोगी खाने में रुचि खो देते हैं।
ईटिंग डिसऑर्डर का खतरा बढ़ाने वाले कारक
विज्ञान ईटिंग डिसऑर्डर का खतरा बढ़ाने वाले सटीक कारणों का पता नहीं लगा पाया है, लेकिन कुछ ऐसे पहलू हैं जो संभावित रूप से एक भूमिका निभा सकते हैं। बाल शोषण, माता-पिता का दबाव, सामाजिक अलगाव और सहकर्मी दबाव जैसे पर्यावरणीय प्रभाव भी इसका कारण बन सकते हैं। इसी तरह चिंता, तनाव, ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD) आदि समस्याएं भी इसका खतरा और बढ़ा सकती है।
ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण
लगातार वजन का घटना या बढ़ना, अधिक कैलोरी खपत, भोजन छोड़ना या उनमें अत्यधिक भोजन करना, व्यायाम ढंग से न करना और असामान्य दिनचर्या इसके सामान्य लक्षण हैं। इसके अतिरिक्त अपने शरीर के आकार को छिपाने के लिए भारी या ढीले कपड़े भी पहन सकते हैं, असमय पीरियड्स का आना, लगातार डाइटिंग और खाना छुपाकर खाना भी इसके लक्षणों में शामिल है।
ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज
डॉक्टर आपको एंटी-डिप्रेसेंट और मूड स्टेबलाइजर्स समेत कुछ दवाएं खाने को दे सकते हैं। इसके अलावा वह आपको नियमित जांच कराने और मानसिक विकारों को दूर करने के लिए लोगों के साथ अधिक समय बिताने की भी सलाह दे सकते हैं। पोषण संबंधी परामर्श के लिए डाइटीशियन के पास जाना भी इस बीमारी के इलाज के लिए एक उचित कदम है। इससे आपको जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद रहेगी।