जयपुर में स्थित हैं ये पांच खूबसूरत पर्यटन स्थल, छुट्टियों में घूम आएं
महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा 18वीं शताब्दी में निर्मित जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है और इसकी राजधानी के रूप में भी कार्य करता है। जयपुर को भारत का गुलाबी शहर भी कहा जाता है क्योंकि 1876 में महाराजा राम सिंह ने महारानी विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट के स्वागत के लिए शहर को गुलाबी रंग से रंगा था। आइए आज हम आपको इस रॉयल शहर के पांच सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों के बारे में बताते हैं।
हवा महल
हवा महल का निर्माण राजा सवाई प्रताप सिंह ने अपने शासनकाल (1778-1803) के दौरान सन 1799 में करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि हवा महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जयपुर की शाही राजपूत महिलाओं को झरोखों यानी खिड़कियों में से सड़क पर होने उत्सवों को देखने की अनुमति देना था। हवा महल की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना मुश्किल है, फिर भी बता दें कि यह मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है।
एम्बर किला
जयपुर के आकर्षणों में से एम्बर किले का निर्माण राजा मान सिंह द्वारा 1592 में शुरू करवाया गया था। राजस्थानी वास्तुकला को दर्शाने के लिए इस किले को लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल करके बनाया गया है और इसमें कुछ रहस्यमयी भूमिगत सुरंगें भी हैं। इस किले को चार अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है। 2013 में इसे UNESCO की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
जल महल
मान सागर झील के बीचों-बीच स्थित जल महल एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है, जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में आमेर के महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया था। इस महल की खासियत यह है कि इसकी चार मंजिले हमेशा पानी में डूबी रहती हैं और ऊपर सिर्फ एक ही मंजिल दिखाई देती है। हालांकि, जल महल के अंदर जाना माना है। इस महल के अंदर वही लोग जा सकते हैं, जो इसकी देखभाल के लिए दान देते हैं।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय की स्थापना 1887 में प्रिंस अल्बर्ट की जयपुर यात्रा के उपलक्ष्य में की गई थी। इसे जयपुर PWD के पूर्व निदेशक सैमुअल स्विंटन जैकब ने डिजाइन किया था। राजस्थान के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक इस संग्रहालय में कई ऐतिहासिक कलाकृतियां हैं, जिनमें मिस्र की छह ममी और कई प्राचीन सिक्के शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें 18वीं सदी की वेशभूषा, लघु चित्रों और 19वीं सदी की मिट्टी की आकृतियों का संग्रह भी है।
जंतर मंतर
18वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के आदेश पर निर्मित जंतर मंतर मूल रूप से एक खगोलीय वेधशाला है, जो राजा के अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए बनाया गया था। यह UNESCO की विश्व धरोहर स्थल है और इसमें लगभग 19 ज्यामितीय उपकरण हैं। सम्राट यंत्र यहां का सबसे बड़ा यंत्र है, जिसका इस्तेमाल समय की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता था। यह दुनिया की सबसे बड़ी धूपघड़ी भी है।