यूरिक एसिड बढ़ने पर न करें इन 5 दालों का सेवन, बढ़ सकती है समस्या
यूरिक एसिड तब बनता है, जब शरीर में बनने वाला प्यूरीन नामक रसायन टूटता है। आमतौर पर पेशाब या मल त्याग के दौरान शरीर इसे बाहर निकाल देता है। हालांकि, अगर आपका शरीर बहुत ज्यादा यूरिक एसिड बनाता है तो कई समस्याएं हो सकती हैं और इसे बढ़ने से रोकने के लिए खान-पान का अतिरिक्त ध्यान रखें। आइए आज हम आपको उन दालों के बारे में बताते हैं, जो यूरिक एसिड को बढ़ा सकते हैं।
मसूर की दाल
भारतीय और मध्य पूर्वी व्यंजनों की एक आम सामग्री मसूर की दाल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिन से समृद्ध होती है। हालांकि, इस दाल में प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है और इसका सेवन शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है, इसलिए अगर आपको पहले से ही यूरिक एसिड है तो मसूर की दाल न खाएं। यहां जानिए मसूर की दाल के सेवन से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ।
हरी मूंग दाल
हरी मूंग दाल को फ्रेंच दाल और पुई दाल के नाम से भी जाना जाता है। इस दाल का सेवन भी यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर सलाद, सूप और सब्जियों के शोरबे में किया जाता है, लेकिन अगर पहले से ही आपको बढ़े हुए यूरिक एसिड की समस्या है तो इस दाल का सेवन किसी भी तरह से न करें। यहां जानिए हरी मूंग दाल के फायदे।
काली दाल
काली दाल को बेलुगा दाल के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर भूमध्यसागरीय और भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। मिट्टी के स्वाद जैसी यह दाल प्रोटीन, फाइबर और फोलेट का एक अच्छा स्त्रोत मानी जाती है, लेकिन इसमें प्यूरीन भी अधिक मात्रा में होते हैं। इस कारण यूरीक एसिड बढ़ा होने पर इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
साबुत मसूर की दाल
साबुत मसूर की दाल भूरे रंग की होती है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर भारतीय और पाकिस्तानी व्यंजनों में किया जाता है। यह दाल प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम और विभिन्न विटामिन से भरपूर होती है, जिस कारण इसे डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं। हालांकि, अगर आपका यूरिक एसिड बढ़ा हुआ हो तो इस दाल का सेवन न करें क्योंकि इसमें भी प्यूरीन अधिक मात्रा में होता है।
अरहर की दाल
अरहर की दाल पीले रंग की होती है और ये चने की दाल से ज्यादा चपटी होती है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर सूप और करी बनाने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह दाल कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। हालांकि, ऊपर बताई दालों की तरह इस दाल में भी प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है, जिस कारण यूरिन एसिड बढ़े होने पर इसका सेवन नहीं करना चाहिए।