केरल के केंद्र में बसे त्रिशूर में हैं कई खूबसूरत पर्यटन स्थल, घूमने की बनाएं योजना
केरल के बीचो-बीच स्थित त्रिशूर को पहले त्रिचूर के नाम से जाना जाता था और अब इसे राज्य की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। राज्य के सबसे पुराने शहरों में से एक त्रिशूर में कई चर्च, मंदिर, सांस्कृतिक संस्थान, संग्रहालय और झरने भी हैं, जो हर साल बड़ी संख्या में आंगतुकों को आकर्षित करते हैं। वार्षिक त्रिशूर पूरम उत्सव शहर का सबसे बड़ा त्योहार है, जो इस बार 14 अप्रैल को था। आइए इस जगह के पर्यटन स्थल जानें।
वडक्कुनाथन मंदिर
वडक्कुनाथन मंदिर घूमने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है, जो केरल की वास्तुकला की क्लासिक शैली में निर्मित है। इस मंदिर का उल्लेख ब्रह्माण्ड पुराण जैसे प्राचीन हिंदू ग्रंथों में किया गया है और माना जाता है कि इसकी स्थापना भगवान परशुराम ने की थी। इस मंदिर का अंदरूनी भाग बहुत बड़ा है, जिसमें महाभारत की कहानियों को दर्शाने वाले शानदार लकड़ी की नक्काशीदार चित्र और कलाकृतियां हैं।
चावक्कड़ समुद्र तट
त्रिशूर के चावक्कड़ समुद्र तट की सुनहरी रेत और नीला पानी दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस शांत समुद्र तट पर चट्टानों से टकराने वाली लहरों की आवाज और यहां का वातावरण आपको बहुत पसंद आएगा। आप यहां पर सूर्यास्त का अद्भुत नजारे का भी आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा यहां आयुर्वेदिक फार्मलैंड भी देखा जा सकता है। यहां जानिए केरल के वायनाड में स्थित पर्यटन स्थल।
गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर
गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यह मंदिर हिंदूओं के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है, जहां भगवान विष्णु को उनके कृष्ण अवतार में पूजा जाता है। इस मंदिर को 'दक्षिण भारत का द्वारका' और 'भू-लोक बैकुंठम' भी कहा जाता है। यह मंदिर बहुत खूबसूरत है, लेकिन इसमें प्रवेश करने से पहले ध्यान रखें कि आपका पहनावा पूरे शरीर को ढका हुआ होना चाहिए।
अथिराप्पिल्ली झरना
अथिराप्पिल्ली झरना राज्य का सबसे बड़ा झरना है और यहां के नजारें मंत्रमुग्ध कर देने वाले हैं। 24 मीटर ऊंचे और 100 मीटर चौड़े इस झरने को भारत का नियाग्रा फॉल्स भी कहा जाता है। चालकुडी नदी पर स्थित यह झरना दोस्तों के साथ घूमने के लिए एक बढ़िया विकल्प है। यह रोजाना सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है। यहां जानिए भारत के सबसे ऊंचे और खूबसूरत झरने।
केरल कलामंडलम
दक्षिण भारत की कला और संस्कृति के संरक्षण और अध्ययन के केंद्र केरल कलामंडलम की स्थापना प्रसिद्ध कवि वल्लथोल नारायण मेनन और उनके साथी मुकुंद राजा ने साल 1930 में की थी। इसके बाद इसे कोचीन के महाराजा और बाद में केरल सरकार द्वारा संरक्षित किया गया। आज यह त्रिशूर की सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक है। यहां जाकर आप बच्चों को क्षेत्र की पारंपरिक कलाओं को सीखते हुए देख सकते हैं।