अनंतासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य महत्वपूर्ण बातें
अनंतासन दो शब्दों (अनंत और आसन) के मेल से बना है। इसमें अंनत का मतलब असीम है और आसन का अर्थ मुद्रा है। इस आसन को विष्णु आसन भी कहा जाता है क्योंकि इसका अभ्यास करते समय शरीर भगवान विष्णु के आराम मुद्रा जैसा दिखता है। अगर आप निरंतर इस आसन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपको ढेरों स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए आज हम आपको अनंतासन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अनंतासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर दायीं करवट में लेटें। अब अपने दाएं हाथ को कोहनी से मोड़ें और इसकी हथेली पर अपने सिर को टिकाएं। इसके बाद अपने बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें और पैर को ऊपर की ओर सीधा करें। इस स्थिति में आपका बायां पैर और बायां हाथ ऊपर की ओर सीधे होंगे। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और फिर इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ से दोहराएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपको गर्दन, कंधे या फिर सिर से संबंधित कोई समस्या है तो आपको इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क या साइटिका से ग्रस्त लोग भी इस आसन का अभ्यास न करें। जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, वे लोग भी इस आसन का अभ्यास न करें। अगर पेट से संबंधित कोई बीमारी है तो भी इस आसन के अभ्यास से बचें।
अनंतासन के निरंतर अभ्यास से मिलने वाले फायदे
इस योगासन का पूरे शरीर की मांसपेशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस आसन से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है। इस योगासन से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता को बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। यह योगासन रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने में भी सहायक है। यह आसन शरीर की संतुलन शक्ति को भी बढ़ाता है। यह आसन ब्लड प्रेशर को संतुलित करने में भी सहायता करता है।
अनंतासन के अभ्यास से जुड़ी कुछ खास टिप्स
अगर इस आसन का अभ्यास करने के दौरान पैरों को ऊपर की ओर करने में परेशानी हो तो शारीरिक क्षमता से अधिक बल न डालें। बेहतर होगा कि शुरूआत में आप उतना ही पैर ऊपर उठाएं, जितना आप आसानी से उठा सकें। अगर इस आसन का अभ्यास करते समय असुविधा या दर्द महसूस हो तो तुरंत आसन छोड़ दें। इस आसन का अभ्यास हमेशा खाली पेट करना चाहिए और इसके अभ्यास के दौरान ज्यादा कसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए।