कोलन को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन, जानें अभ्यास का तरीका
कोलन शरीर में पाचन तंत्र का एक हिस्सा होता है और ये बड़ी आंत में पाया जाता है। इसमें बेकार पदार्थ जमा होते हैं, जो मल के रूप में बाहर आते हैं। हालांकि, कई बार कोलन में बैक्टीरिया, सूजन या अन्य किसी संक्रमण के कारण कब्ज, पेट दर्द और पाचन क्रिया में गड़बड़ी जैसी समस्याएं हो जाती हैं। इससे बचाव के लिए और कोलन के स्वास्थ्य में सुधार के लिए नीचे लिखे 5 योगासन का अभ्यास करें।
बालासन
इसके लिए योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठें और गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुककर माथे को जमीन से सटाएं। इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, माथा जमीन से टिका हुआ और छाती जांघों पर रहेंगी। कुछ सेकेंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इससे पेट के अंगों की धीरे से मालिश होती रहती है, इसलिए यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाती हैं।
भुजंगासन
इसके लिए सबसे पहले योगा मैट पर दोनों हाथों को कंधों के पास रखकर पेट के बल लेट जाएं। अब शरीर का वजन दोनों हथेलियों पर डालते हुए सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें। इस दौरान सिर को पीछे की तरफ ले जाकर छाती को आगे की तरफ निकालें। इस योगासन के अभ्यास से रीढ़ और पीठ मजबूत होती है और लचीलेपन में सुधार होता है। भुजंगासन के अभ्यास से ये अन्य फायदे भी मिलते हैं।
धनुरासन
धनुरासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब दोनों घुटनों को पीठ की तरफ मोड़ें और हाथों से पैरों के टखनों को पकड़ने की कोशिश करें। इसके बाद सांस लेते हुए पूरे शरीर को इस प्रकार ऊपर उठाने की कोशिश करें कि शरीर का आकार धनुष के समान लगे। यह योग पाचन क्रिया में सहायता करता है और कब्ज से राहत दिलाता है।
मत्स्यासन
इसके लिए सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में एकदम सीधे बैठ जाएं, फिर पीठ की दिशा में झुकें और सिर को जमीन से सटाने की कोशिश करें। अब पैरों की उंगलियों को पकड़ें और जितना संभव हो सके, उतनी देर इसी मुद्रा में रुकने की कोशिश करें। कुछ मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं। यहां जानिए पद्मासन के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें।
विपरीत करणी आसन
सबसे पहले एक दीवार के पास बैठें और फिर योगा मैट पर लेट जाएं। अब कूल्हों को दीवार के पास ले जाएं और फिर पैरों को सीधा ऊपर उठाएं। इस दौरान दोनों हाथों को बगल में रखें और अपना ध्यान सांस पर रखें। कुछ मिनट तक इसी स्थिति में रहें और फिर सामान्य हो जाएं। यह योग पेट और धड़ के निचले हिस्से में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देता है, जिससे पाचन क्रिया ठीक रहती है।