इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का योगी सरकार को नोटिस
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर इलाहबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने वाली योगी सरकार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नोटिस जारी किया गया है। योगी सरकार के नाम बदलने के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक पीठ ने सुनवाई कर सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिका में किया गया यह दावा
इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी की ओर से फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने भले ही इलाहबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है, लेकिन सरकार को रेलवे स्टेशन और केन्द्रीय विद्यालयों का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केन्द्र सरकार के पास है। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार ने 400 साल पुराने नाम को बदलकर शहर की पहचान बदलने का काम किया है।
हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
सरकार की ओर से नाम बदलने के बाद इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी की ओर से इलाहबाद हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर कहा था कि 400 से अधिक सालों से इस शहर का नाम इलाहाबाद है। अब यह शहर की पहचान बन गया है। उन्होंने दिल्ली के कनॉट पैलेस का भी उदाहरण दिया था। जिसमें कहा था कि काफी सालों पहले कनॉट पैलेस का नाम बदलकर राजीव चौक कर दिया गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था।
2018 में योगी सरकार ने की थी नाम बदलने की घोषणा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 अक्टूबर, 2018 को प्रदेश के बड़े शहर इलाहबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का ऐलान किया था। इसके बाद 1 जनवरी, 2019 को केन्द्र सरकार ने भी राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया था। उसी दौरान राज्यपाल राम नाईक ने भी सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी थी। उसके बाद इलाहबाद का नाम आधिकारिक तौर पर प्रयागराज कर दिया गया था।
नाम बदलने के पीछे सरकार ने बताया था यह कारण
नाम बदलने का निर्णय करने के बाद कैबिनेट मंत्री व प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ ने बताया था कि नाम परिवर्तन लोगों की लंबी मांग थी। उन्होंने कहा था कि दस्तावेजों पर किए शोध में पाया कि देश में 14 प्रयाग थे और इलाहबाद को सभी प्रयाग का राजा माना जाता है। ऐसे में इसका नाम प्रयागराज किया जाना उचित रहेगा। इसलिए राजस्व बोर्ड ने भी नाम बदलने का सुझाव दिया था।
शहर का नाम बदलने के साथ सरकार ने यह भी दिया था आदेश
इलाहबाद का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर प्रयागराज करने के बाद योगी सरकार ने उन सभी सरकारी विभागों को भी नाम बदलने की प्रक्रिया अपनाने का आदेश दिया था, जिनके नाम शहर के नाम पर थे। इसमें केन्द्रीय संस्थान उच्च न्यायालय, रेलवे स्टेशन व राज्य सरकार के अधीन आने वाले इलाहबाद विश्वविद्यालय सहित अन्य सरकारी कार्यालय प्रमुख थे। इसका कई जगह विरोध भी हुआ था।
सरकार के निर्णय की विपक्षी दलों ने की थी आलोचना
इस निर्णय की विपक्षी दलों सहित कई संगठनों ने कड़ी आलोचना की थी। कांग्रेस ने कहा था कि योगी सरकार का यह कदम इस शहर का सैकड़ों सालों पुराना इतिहास बदलने के समान होगा। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेख यादव ने कहा था कि भाजपा सरकार केवल नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहती है। राज्य के कांग्रेस प्रमुख राज बब्बर ने कहा था कि सरकार को गंगा की स्वच्छता में भी इतनी ही उत्सुकता दिखानी चाहिए थी।