झारखंड विधानसभा चुनाव का नतीजा कैसे करेगा राज्यसभा में भाजपा की सीटों को प्रभावित?
क्या है खबर?
झारखंड विधानसभा चुनाव में हार का असर राज्यसभा में भाजपा की सीटों पर भी पड़ सकता है।
अभी झारखंड की छह राज्यसभा सीटों में से तीन भाजपा के पास हैं।
लेकिन इस बार के चुनावी नतीजों के बाद अगर उसे अन्य पार्टियों से समर्थन नहीं मिलता तो उसे अपनी तीनों सीटें गंवानी पड़ सकती हैं।
अगर ऐसा हुआ तो राज्य की सत्ता से गंवाने के बाद ये भाजपा के लिए दोहरा झटका होगा। आइए आपको पूरा समीकरण समझाते हैं।
झारखंड विधानसभा
नतीजों के बाद कैसी है झारखंड विधानसभा की स्थिति?
सबसे पहले बात झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों की।
चुनाव परिणाम में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के गठबंधन को 47 सीटें मिली हैं। वहीं भाजपा के खाते में 25 सीटें आई हैं।
बाबूलाम मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा (JVM) को तीन सीटें मिली हैं जबकि भाजपा की पूर्व सहयोगी ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) दो सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही है।
बाकी चार सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं।
आंकड़े
राज्यसभा सांसद भेजने के लिए चाहिए 28 विधायक
अगर राज्यसभा सीटों की बात करें तो झारखंड में कुल छह राज्यसभा सीटें हैं जिसमें से तीन सीटें अभी भाजपा के पास हैं जबकि कांग्रेस और RJD के पास एक-एक सीट है।
छठवीं सीट निर्दलीय सांसद परिमल नथवानी के पास है।
इन सभी सीटों पर 2020, 2022 और 2024 में दो-दो सीटें करके राज्यसभा चुनाव होगा।
राज्य विधानसभा में 81 सीटें हैं और राज्यसभा में एक सांसद भेजने के लिए कुल 28 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा।
समीकरण
हर बार भाजपा के पास होगी तीन विधायकों की कमी
चूंकि राज्यसभा सीटों पर दो-दो सीटें करके चुनाव होगा तो पहली सीटो को कांग्रेस-JMM-RJD गठबंधन आसानी से जीतने में कामयाब रहेगा। लेकिन हर बार असली पेंच दूसरी सीट पर फंसेगा।
पहली सीट जीतने के बाद भी गठबंधन के खाते में 19 सीटें बचेंगी, जबकि भाजपा के पास 25 सीटें होंगी।
दूसरी सीट को जीतने के लिए भाजपा के पास हर बार तीन सीटों की कमी होगी और उसे अन्य पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
झारखंड विकास मोर्चा
JVM की नाराजगी पड़ सकती है भारी
भाजपा तीन सीटों वाली JVM के समर्थन से दूसरी सीट को हासिल कर सकती है, लेकिन इसमें समस्या ये है कि दोनों पार्टियों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं।
2014 विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने JVM को दो हिस्सों में तोड़ दिया था और इससे JVM प्रमुख बाबूलाल मरांडी बेहद नाराज हैं। वो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गए थे।
मौजूदा विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद भी JVM ने भाजपा से दूरी बनाई हुई है।
खराब रिश्ते
AJSU से खराब रिश्ते भी करेंगे भाजपा के गणित को प्रभावित
भाजपा के पास दूसरा और आखिरी रास्ता अपनी पूर्व सहयोगी AJSU के दो और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से दूसरी राज्यसभा सीट को जीतने का होगा।
लेकिन इसमें भी दो बड़े रोड़े हैं। पहला तो ये कि AJSU के साथ भी उसके रिश्ते ठीक नहीं चल रहे और दोनों पार्टियों में सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन टूट गया था।
दूसरा ये कि ज्यादातर निर्दलीय विधायक भाजपा के मुकाबले गठबंधन के ज्यादा करीब हैं।
जानकारी
भाजपा को अच्छे करने होंगे सहयोगियों से रिश्ते
ऐसे में अगर भाजपा को राज्यसभा सीटें जीतनी हैं तो उसे अपने सहयोगियों के साथ रिश्ते अच्छे करने होंगे और उनसे अच्छे से पेश आना होगा। अगर वो ऐसा नहीं करती तो उसके खाते से तीनों राज्यसभा सीटें जाना तय है।
राज्यसभा समीकरण
राज्यसभा में 2021 तक NDA का बहुमत होने की संभावना
अभी 225 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को बहुमत नहीं है और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान जीते गए राज्यों के दम पर NDA को 2021 तक सदन में बहुमत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
लेकिन अगर वो झारखंड से तीनों सीटें गंवा देती है तो वो इस लक्ष्य को प्राप्त करने में नाकामयाब रहेगी।
शिवसेना के अलग होने के बाद महाराष्ट्र से उसकी राज्यसभा सीटों पर भी असर पड़ सकता है।