नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शन: सामाजिक कार्यकर्ता माता-पिता जेल में, घर पर 14 महीने की बेटी
नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस की बर्बर कार्रवाई की पुष्टि करते कई वीडियो सामने आ रहे हैं। इस दौरान हजारों लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। हिरासत में लिए गए इन लोगों में सामाजिक कार्यकर्ता एकता और रवि शेखर भी शामिल हैं। एकता और रवि पति-पत्नी हैं और जब वो जेल में बंद हैं, उनकी 14 महीने की बेटी बिना अपने माता-पिता के घर में रह रही है।
19 दिसंबर को किया गया था एकता और रवि को गिरफ्तार
वाराणसी के रहने वाले एकता और रवि 'क्लाइमेट एजेंडा' नाम से एक NGO चलाते हैं जो मुख्यतौर पर वायु प्रदूषण पर काम करती है।
19 दिसंबर को वो नागरिकता कानून के खिलाफ एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने गए थे जहां से उन्हें पुलिस ने उठा लिया।
बिना इजाजत के प्रदर्शन करने के आरोप में उन दोनों को गिरफ्तार किया गया है और वो पुलिस एक हफ्ते से पुलिस हिरासत में बंद हैं।
घर पर मम्मी-पापा को याद कर रही 14 महीने की आर्या
एकता और रवि की अनुपस्थिति में उनकी 14 महीने की बेटी आर्या का उनके रिश्तेदार ख्याल रख रहे हैं। लेकिन वो उसके माता-पिता की कमी पूरी नहीं कर पा रहे और आर्या अपने मम्मी-पापा को याद करती रहती है। रवि की मां शीला तिवारी ने बताया, "आर्या कुछ खा नहीं रही है। किसी तरीके से हम उसे कुछ चम्मच खाना खिला पाए हैं। वो हर समय कहती रहती है 'अम्मा आओ, पापा आओ'। हमें नहीं पता क्या करना है।"
एकता और रवि को जमानत दिलाने की कोशिश में लगे रिश्तेदार
शीला सवाल करते हुए कहती हैं, "मेरे बेटे ने कोई अपराध नहीं किया है। पुलिस ने उसे क्यों गिरफ्तार किया है? वो शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहा था। क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं उनकी बच्ची अपनी मां के बिना कैसे रह रही है? क्या ये अपराध को रोकने का तरीका है?" एकता और रवि के अन्य रिश्तेदारों का कहना है कि उनकी प्राथमिकता उन्हें जमानत दिलाना और कोर्ट में कानूनी तरीके से केस लड़ना है।
वाराणसी में गिरफ्तार किए गए 60 से अधिक लोग
वाराणसी में एकता और रवि के साथ-साथ 60 से अधिक लोगों को नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के दर्जनों छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक शामिल हैं। वहीं पुलिस ने गिरफ्तारियों को सही ठहराते हुए कहा कि लोगों के गैर-कानूनी तरीके से इकट्ठा होने पर इलाके में तनाव पैदा हो रहा था। उनके खिलाफ दंगा करने जैसे गंभीर आरोपों की धाराएं लगाईं जा रही हैं।
पुलिस पर लग रहे हैं गंभीर आरोप
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर भी लाठीचार्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने के आरोप लग रहे हैं। इसकी पुष्टि करते कई वीडियो सामने आए हैं। इसके अलावा पुलिस के लोगों के घर में घुसकर तोड़फोड़ करने और CCTV कैमरों, गाड़ियों और अन्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के वीडियो भी सामने आए हैं। पुलिस की ओर से भी प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई तोड़फोड़ और हिंसा के वीडियो जारी किए गए हैं।
राज्य में प्रदर्शनों के दौरान अब तक 16 लोगों की मौत
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें आठ साल का एक बच्चा भी शामिल है जो पुलिस के लाठीचार्ज के बाद हुई भगदड़ में मारा गया। लोगों का आरोप है कि मारे गए ज्यादातर लोगों की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है, जबकि पुलिस का कहना है कि ये लोग आपस में हुई फायरिंग में मारे गए हैं।
परिजनों का आरोप, ज्यादतियों के सबूत मिटा रही पुलिस
मारे गए लोगों के परिजनों ने पुलिस पर लाशों को जल्दी में दफनाने का आरोप भी लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस ऐसे करके अपनी ज्यादतियों को छुपाने की कोशिश कर रही है। पुलिस पर पत्रकारों के साथ बदसलूकी करने का आरोप भी है।