कोरोना वायरस महामारी के कारण टाला जा सकता है है संसद का शीतकालीन सत्र
कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार संसद का शीतकालीन सत्र टल सकता है। आमतौर पर यह सत्र नवंबर के तीसरे सप्ताह से शुरू होता है, लेकिन इस बार असामान्य स्थितियों के चलते केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। सत्र से दो सप्ताह पहले नोटिस दिया जाता है, लेकिन अभी तक इसकी कोई सुगबुगाहट नहीं है। साथ ही दिल्ली इस वक्त महामारी की तीसरी और सबसे खतरनाक लहर का सामना कर रही है।
अब तक तीन बार नहीं बुलाया गया है शीतकालीन सत्र
इंडिया टुडे के अनुसार, मौजूदा स्थितियों को देखते हुए सरकार शीतकालीन सत्र को टालकर जनवरी के अंत में सीधा बजट सत्र बुला सकती है। अगर शीतकालीन सत्र टलता है तो ऐसा चौथी बार होगा। अब से पहले केवल 1975, 1979 और 1984 में शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं हुआ था। इस साल कोरोना वायरस के चलते न सिर्फ संसद की कार्यवाही प्रभावित हुई है बल्कि कई सत्र में भी इसकी भेंट चढ़ चुके हैं।
पहले दो सत्रों पर भी पड़ चुका है महामारी का साया
अगर शीतकालीन सत्र नहीं बुलााय जाता है तो इस साल के तीनों सत्र पर महामारी का असर देखने को मिलेगा। साल के पहले दो सत्र कई पाबंदियों और कोरोना वायरस प्रोटोकॉल के तहत आयोजित किये गए थे और तीसरा सत्र पूरी तरह रद्द हो सकता है। इस साल मार्च में बजट सत्र को महामारी के डर के बीच छोटा किया गया था। इसी तरह मानसून सत्र पर पर महामारी का साया छाया रहा।
शीतकालीन सत्र पर अभी तक कोई चर्चा नहीं
संसदीय कार्यों की कैबिनेट समिति मिलकर सत्र शुरू करने का फैसला लेती है। साथ ही यह सत्र की अवधि भी तय करती है। विचार-विमर्श के बाद यह समिति अपनी सिफारिशें राष्ट्रपति को भेजती हैं, जो सत्र बुलाते हैं। इस बार अभी तक समिति की बैठक नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में भी समिति की बैठक होने के कोई आसार नहीं है। ऐसे में कयास लगाए जाने लगे हैं कि शीतकालीन सत्र रद्द हो सकता है।
"बजट सत्र के साथ मिलाया जा सकता है यह सत्र"
इस बारे में पूछने पर सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि यह महामारी की स्थिति और सरकार के विधायी कार्यों पर निर्भर करेगा। अगर शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जाता है तो सरकार इसे बजट सत्र के साथ मिला सकती है।
फरवरी तक हालात सामान्य होने की उम्मीद
नियमों के मुताबिक, पिछला सत्र समाप्त होने के छह महीने से कम समय में अगला सत्र बुलाया जाना चाहिए। अगर राजनीतिक सहमति बनती है तो सरकार पर इसके लिए किसी तरह का दबाव नहीं होगा और वो फरवरी में सत्र आय़ोजित कर सकती है। हालांकि, बजट सत्र को नहीं टाला जा सकता क्योंकि 31 मार्च से पहले बजट का पास होना अनिवार्य है। ऐसे में सरकार फरवरी में सत्र बुला सकती है। तब तक हालात सामान्य होने की उम्मीद है।