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    खास कोरोना वैक्सीन तैैयार करने में जुटे भारतीय वैज्ञानिक, नहीं पड़ेगी अल्ट्रा कोल्ड स्टोरेज की जरूरत

    खास कोरोना वैक्सीन तैैयार करने में जुटे भारतीय वैज्ञानिक, नहीं पड़ेगी अल्ट्रा कोल्ड स्टोरेज की जरूरत

    लेखन प्रमोद कुमार
    Nov 11, 2020
    09:23 pm

    क्या है खबर?

    हाल ही में फाइजर ने कोरोना की संभावित वैक्सीन को लेकर बड़ी घोषणा की थी। कंपनी ने दावा किया है कि यह संभावित वैक्सीन संक्रमण से 90 फीसदी तक बचा सकती है।

    हालांकि, इसकी स्टोरेज को लेकर कई चुनौतियां को सामना करना पड़ेगा।

    दरअसल, इस वैक्सीन को -70 डिग्री तापमान पर स्टोर करने की जरूरत है। भारत समेत अधिकतर देशों में कोल्ड चेन की ऐसी व्यवस्था नहीं है।

    आइये, जानते हैं कि ऐसी स्थिति में भारत क्या कर रहा है।

    तैयारी

    ज्यादा तापमान सहने वाली वैक्सीन बना रहे भारतीय वैज्ञानिक

    भारत में गर्मियों में कई जगहों पर पारा 50 डिग्री तक पहुंच जाता है।

    वहीं लगभग सभी वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान स्टोर करने की जरूरत होती है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना वायरस के लिए विकसित हो रही अधिकतर वैक्सीन को रखने के लिए जीरो डिग्री से कम तापमान की सुविधा वाले रेफ्रिजरेटर्स की जरूरत होगी।

    ऐसे में भारत के वैज्ञानिक ऐसी वैक्सीन तैयार कर रहे हैं, जो ज्यादा तापमान सह सके।

    दावा

    37 डिग्री सेल्सियस पर एक महीने सुरक्षित रह सकेगी वैक्सीन- वैज्ञानिक

    बीबीसी के अनुसार, भारत में वैज्ञानिकों का एक समूह ऐसी ही वैक्सीन पर काम कर रहा है।

    उनका दावा है कि यह वैक्सीन गर्मी को सह सकेगी और जल्दी खराब नहीं होगी। उनके अनुसार, यह वैक्सीन 100 डिग्री सेल्सियस पर 90 मिनट, 70 डिग्री पर 16 घंटे और 37 डिग्री सेल्सियस पर एक महीने से ज्यादा समय तक सुरक्षित रहेगी।

    अगर यह कामयाब होती है तो कोल्ड स्टोरेज पर निर्भर हुए बिना लोगों तक वैक्सीन पहुंचाई जा सकेगी।

    बयान

    जानवरों पर ट्रायल में कामयाब रही है संभावित वैक्सीन

    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के प्रोफेसर राघवन वर्धराजन और उनकी टीम यह वैक्सीन तैयार कर रही है।

    उन्होंने बताया कि जानवरों पर इसके ट्रायल सफल रहे हैं। अब वो इंसानों पर इसके ट्रायल शुरू करने के लिए फंडिंग का इंतजार कर रहे हैं। जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री ने प्रकाशन के लिए उनके पेपर को स्वीकार कर लिया है।

    अभी तक ऐसी बहुत कम वैक्सीन विकसित हुई हैं जो अधिक तापमान को झेल सकें।

    वैक्सीन

    कोरोना वैक्सीन के लिए कितने तापमान की जरूरत पड़ेगी?

    विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना वायरस के लिए विकसित हो रही वैक्सीन को तापमान की जरूरत के हिसाब से तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

    पहली श्रेणी वाली वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस, दूसरी को -20 डिग्री और तीसरी को -70 डिग्री तापमान की जरूरत होगी।

    विशेषज्ञों का कहना है कि -70 डिग्री तापमान में रखी जाने वाली वैक्सीन्स को लेकर कई देशों को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

    अन्य वैक्सीन्स

    40 डिग्री तापमान तक खराब नहीं होती अन्य बीमारियों की ये वैक्सीन्स

    अभी तक केवल तीन ऐसी वैक्सीन्स हैं, जिन्हें 40 डिग्री तक के तापमान पर स्टोर करने की अनुमति है। ये मेनिनजाइट्स, ह्युमन पेपिलोमा वायरस और हैजा की वैक्सीन हैं। ऐसी वैक्सीन को सुदूर इलाकों में पहुंचाना आसान होता है।

    जानकारों का कहना है कि ज्यादा तापमान सह सकने वाली वैक्सीन को बिना कोल्ड स्टोरेज की बाध्यता के दूर-दराज के इलाकों में आसानी से पहुंचाया जा सकता है और इसके लिए अधिक संसाधनों की जरूरत नहीं पड़ती।

    कोल्ड चेन

    भारत के पास 2-8 डिग्री वाली वैक्सीन रखने की पर्याप्त क्षमता

    फार्मा कोल्ड चेन प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी के MD बी थियागराजन ने कहा, "अगर 2-8 डिग्री सेल्सियस की वैक्सीन की बात है तो हमारे पास उन्हें स्टोर करने की पर्याप्त क्षमता है, लेकिन -40 डिग्री के तापमान वाली वैक्सीन रखने में परेशानी आएगी।"

    अन्य जानकार भी यह बात कहते हैं कि कोल्ड स्टोरेज की क्षमता को देखते हुए भारत को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत की जगह विकल्प होने पर दूसरी वैक्सीन के साथ जाना चाहिए।

    जानकारी

    वैक्सीन की स्टोरेज में ये संसाधन महत्वपूर्ण

    वैक्सीन की स्टोरेज के लिए बड़े-बड़े फ्रीजर से लेकर रेफ्रिजरेटेड ट्रक्स, कूलैंट पैक्स, ड्राई आइस और कोल्ड बॉक्स की जरूरत होगी। इनकी मदद से देश के कोने-कोने तक वैक्सीन पहुंचाई जाती है। लगभग 40 लाख डॉक्टर और नर्सें इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।

    सरकार की तैयारी

    भारत में जुलाई तक 25 करोड़ लोगों को खुराक देने का लक्ष्य

    भारत को कोरोना वायरस वैक्सीन की 20-50 करोड़ खुराक मिलने की उम्मीद है। अगले साल जुलाई तक लगभग 25 करोड़ लोगों को ये खुराकें दी जाएंगी।

    इनमें स्वास्थ्यकर्मी और महामारी के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर तैनात लोग शामिल होंगे।

    खुराकों के वितरण के लिए देश के लगभग चार दशक पुराने टीकाकरण कार्यक्रम का इस्तेमाल किया जाएगा।

    हर साल इस कार्यक्रम के तहत खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अलग-अलग बीमारियों की लगभग 39 करोड़ खुराक दी जाती हैं।

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