
CAA को संवैधानिक घोषित करने की मांग पर CJI बोले- देश कठिन दौर से गुजर रहा
क्या है खबर?
नागरिकता कानून पर दायर एक याचिका पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े ने कहा कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है और ऐसी याचिकाएं दायर कर हालात को और खराब नहीं करना चाहिए।
पुनीत कौर ढांडा ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से नागरिकता कानून को संवैधानिक घोषित करने और इसके खिलाफ "झूठी अफवाहें" फैलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और मीडिया हाउसों पर कार्रवाई करने की मांग की थी।
बयान
CJI बोबड़े ने क्या कहा?
इस याचिका पर जल्द सुनवाई किए जाने की मांग पर CJI बोबड़े ने कहा, "देश कठिन दौर से गुजर रहा है। लक्ष्य शांति कायम रखना होना चाहिए। ऐसा याचिकाएं इसमें मदद नहीं करतीं।"
टिप्पणी
CJI बोले, हमने कभी भी ऐसी याचिका के बारे में नहीं सुना
याचिकाकर्ता के वकील ने जब नागरिकता कानून को लागू करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की तो CJI बोबड़े ने कहा, "आपको पता है कि अधिनियमों की संवैधानिकता को पहले से ही मान कर चला जाता है। हम आपका अपमान नहीं करता चाहते लेकिन हमने कभी भी ऐसी याचिका के बारे में नहीं सुना है जिसमें एक अधिनियम को संवैधानिक घोषित करने की मांग की गई हो।"
नागरिकता कानून
क्या है नागरिकता कानून?
बता दें कि संसद ने पिछले महीने नागरिकता कानून को संसद से पारित किया था।
इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को 6 साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिलेगी।
विरोध
इन कारणों से हो रहा है विरोध
भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता और धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अवधारणा के खिलाफ पहली बार नागरिकता को धर्म से जोड़ने और मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखने इस कानून का विरोध हो रहा है।
वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों में भी भाषाई और सांस्कृतिक कारणों से इसका विरोध हो रहा है। उन्हें डर है कि बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता मिलने पर वो अपने ही जमीन पर भाषाई अल्सपंख्यक बन जाएंगे।
प्रदर्शन
छात्र आंदोलन का रूप लेते जा रहे हैं प्रदर्शन
संसद से पारित होने के बाद से ही नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन जारी हैं और धीरे-धीरे एक छात्र आंदोलन में बदलता जा रहा है।
प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और पुलिस की ज्यादती के मामले भी सामने आए हैं और देशभर में 21 से अधिक लोग इन प्रदर्शनों में मर चुके हैं।
वहीं पश्चिम बंगाल और केरल आदि राज्यों की सरकारें भी इस कानून को अपने यहां लागू नहीं करने का ऐलान कर चुकी हैं।