सुप्रीम कोर्ट पहुंचा योगी आदित्यनाथ पर ट्वीट के लिए पत्रकार की गिरफ्तारी का मामला
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ट्वीट के लिए गिरफ्तार किए गए पत्रकार का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति की गिरफ्तारी को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को मामले पर सुनवाई करेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार सुबह मामले में एक और शख्स को गिरफ्तार किया। मायावती और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
क्या है पूरा मामला?
कनौजिया ने गुरुवार को योगी आदित्यनाथ की प्रेमिका होने का दावा करने वाली महिला का वीडियो पोस्ट करते हुए मजाकिया अंदाज में लिखा था, "इश्क छुपता नहीं छुपाने से योगी जी।" इसके बाद लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में सब-इंस्पेक्टर विकास कुमार की शिकायत के आधार पर शनिवार को कनौजिया को पूर्वी दिल्ली के मंडावली फाजलपुर स्थिति उनके घर से गिरफ्तार किया गया।
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज
कनौजिया पर IPC की धारा 500 (आपराधिक मानहानि), धारा 505 (सार्वजनिक उपद्रव के लिए जिम्मेदार बयान) और IT एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप से अश्लील साम्रगी का प्रसारण या प्रचार) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पत्नी ने पूछा, क्या सवाल पूछने वाले हर व्यक्ति को गिरफ्तार करेगी सरकार?
अब गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए उनकी पत्नी जगीशा ने कहा, "हम भी वीडियो में दिख रही महिला को नहीं जानते हैं। यह केवल एक व्यंग्य था और यह अपराध नहीं है। क्या पुलिस सरकार से सवाल पूछने वाले हर व्यक्ति को गिरफ्तार करेगी? मैं उनके सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने के अधिकार के साथ खड़ी हूं।" बता दें कि जगीशा और कनौजिया की पिछले साल अक्टूबर में ही शादी हुई है।
इन लोगों को भी किया गया गिरफ्तार
नोएडा के 'नेशन लाइव' की प्रमुख इशिता सिंह और एडिटर अनुज शुक्ला को वीडियो के प्रसारण के लिए गिरफ्तार किया गया है। वहीं, चौथे शख्स राजू सिंह यादव को महिला और योगी आदित्यनाथ की मोर्फ्ड तस्वीर पोस्ट करने के लिए आज सुबह गिरफ्तार किया गया।
एडिटर्स गिल्ड ने बताया अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कनौजिया और अन्य लोगों की गिरफ्तारी को प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश बताया। संस्था ने इसे कठोर, मनमाना और कानून के सत्तावादी प्रयोग के समान बताया। मामले में पुलिस द्वारा स्वयं संज्ञान लेने को भी एडिटर्स गिल्ड ने सत्ता और कानून का दुरुपयोग बताया है। संस्था ने बयान में मानहानि के कानून को गैर-आपराधिक बनाने की अपनी मांग को भी दोहराया।
एडिटर्स गिल्ड ने जारी किया बयान
मायावती ने पूछा, क्या सरकार को फर्क पड़ेगा?
वहीं, यूपी की दिग्गज नेता मायावती ने मामले में ट्वीट करते हुए भाजपा और सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने लिखा, "यूपी CM के खिलाफ अवमानना के सम्बंध में लखनऊ पुलिस द्वारा स्वतः ही संज्ञान लेकर पत्रकार प्रशांत कनौजिया सहित 3 की दिल्ली में गिरफ्तारी पर एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया व अन्य मीडिया ने काफी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। लेकिन क्या इससे भाजपा व इनकी सरकार पर कोई फर्क पड़ने वाला है?