लोकसभा चुनाव: चौथे चरण की 72 सीटों पर मतदान जारी, इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर

आज लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत 9 राज्यों की 72 लोकसभा सीटों पर मतदान जारी है। इस चरण में 12.79 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। महाराष्ट्र की 17, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की 13-13, पश्चिम बंगाल की 8, मध्य प्रदेश और ओडिशा की 6-6, बिहार की 5, झारखंड की 3 और जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग लोकसभा सीट के एक हिस्से पर मतदान हो रहा है। इस दौरान 957 उम्मीदवारों की किस्मत आज EVM में कैद हो जाएगी।
इससे पहले 11 अप्रैल को हुए पहले चरण में 69.43 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 18 अप्रैल को दूसरे चरण और 23 अप्रैल को तीसरे चरण में 66 प्रतिशत मतदान हुआ था। अब तक 543 में से 302 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है।
चौथे चरण में जिन बड़े नामों की किस्मत दांव पर है, उनमें भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, सुभाष भामरे, एसएस अहलूवालिया और बाबुल सुप्रियो शामिल हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, अधीर रंजन चौधरी, मिलिंद देवड़ा और उर्मिला मातोंडकर की किस्मत का फैसला मतदाता करेंगे। इसके अलावा CPI के कन्हैया, सपा की डिंपल यादव और TMC के शताब्दी राय की सीटों पर भी मतदान हो रहा है।
अगर 2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा ने इन 72 में से 56 सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस को 2 सीट हासिल हुई थीं। बाकी सीटें TMC, सपा और बीजू जनता दल जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के हिस्से में गई थीं। इन नतीजों से साफ है कि चौथे चरण में भाजपा के पास खोने के लिए बहुत कुछ है और विपक्ष के पास अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने का अच्छा मौका है।
चौथे चरण के साथ ही महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटों पर मतदान पूरा हो जाएगा। भाजपा और उसकी सहयोगी शिवसेना ने 2014 चुनाव में इन सभी 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस बार कांग्रेस और उसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अपना आधार पाने के लिए पूरी मेहनत कर रही हैं। वहीं, 2014 में राजस्थान की भी सभी सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था, लेकिन इस बार कांग्रेस बराबर की टक्कर में है।
वहीं, उत्तर प्रदेश की सभी 13 सीटों में से अधिकांश पर भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन के बीच सीधी टक्कर है। पिछले चुनाव ने भाजपा ने इनमें से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कन्नौज सीट पर सपा की डिंपल यादव जीत दर्ज करने में सफल रहीं थीं और वह इस बार भी यहीं से मैदान में हैं। हालांकि इस बार गठबंधन के कारण विपक्षी पार्टियों को 2014 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन की आस है।