कठुआ गैंगरेप और हत्याकांडः पठानकोट अदालत ने छह आरोपियों को दोषी ठहराया
कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या करने के मामले में छह आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। पठानकोट की अदालत में चली सुनवाई के बाद इस मामले में आज फैसला सुनाया गया है। पीड़िता के परिवार के वकील ने बताया कि मामले के आठ आरोपियों में से अदालत ने छह आरोपियों को दोषी ठहराया है और एक को बरी कर दिया है। दोपहर दो बजे इन दोषियों को सजा सुनाई जाएगी।
3 जून को पूरी हुई सुनवाई
यह मामला पिछले साल जनवरी का है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पठानकोट में ट्रांसफर हुए इस मामले की सुनवाई 3 जून को पूरी हो गई थी।
इन आरोपियों पर साबित हुआ दोष
अदालत ने अपने फैसले में पूर्व राजस्व अधिकारी सांझी राम, स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया और सुरेंद्र कुमार, दो जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल तिलक राज और सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और प्रवेश कुमार को दोषी पाया है। वहीं सातवें आरोपी और सांझी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया है। मामले के आठवें और नाबालिग आरोपी की अलग सुनवाई हो रही है। बचाव पक्ष के वकीलों ने फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है।
मानवता को शर्मसार करने वाला है मामला
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक मुस्लिम बकरवाल बच्ची की हत्या और रेप किया गया। बच्ची को कई दिनों तक ड्रग्स देकर बेहोश रखा गया था। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अप्रैल 2018 में चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट के मुताबिक, कठुआ रसाना गांव में आठ साल की एक बच्ची का अपहरण किया गया। उसके बाद गांव के धार्मिक स्थल में उसके साथ चार दिन तक कथित तौर पर रेप किया गया और लाठी से पीटकर हत्या कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पठानकोट ट्रांसफर हुई सुनवाई
जब क्राइम ब्रांच इस मामले में चार्जशीट दायर करने जा रही थी तब रास्ते में वकीलों और भीड़ ने उनका रास्ता रोका। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले का ट्रायल जम्मू से बाहर पठानकोट में किया जाएगा। ट्रायल के दौरान कैमरे के सामने कार्रवाई का आदेश भी दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पीड़िता के परिवार, गवाहों और कागजातों को प्रभावित किए जाने की आशंका है।
आरोपियों के समर्थन में भाजपा के मंत्रियों ने निकाली थी रैलियां
देशभर में चर्चा का विषय बनी इस घटना के बाद हिंदूवादी संगठनों ने आरोपियों के समर्थन में रैलियां निकाली थीं। तब जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री रहे भाजपा नेता चौधरी लाल सिंह और सीपी गंड़ा ने इस रैलियों में हिस्सा लिया था। इसे लेकर जब विवाद बढ़ा तो मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। चौधरी लाल सिंह और दो आरोपियों ने इस मामले में CBI जांच की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।