अयोध्या मामलाः एक बार फिर टली सुनवाई, संत बोले- राम मंदिर के लिए चुनेंगे नया राजा
अयोध्या में विवादित भूमि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई एक बार फिर टल गई है। पहले इस मामले में 29 जनवरी को सुनवाई होना निर्धारित था, लेकिन मामला सुनने वाली बेंच में से जस्टिस बोबडे की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई टल गई है। अभी यह साफ नहीं है कि अब इस मामले में सुनवाई कब होगी। बता दें, पहले भी इस मामले में कई बार सुनवाई टल चुकी है।
कुछ दिन पहले बनी थी नई बेंच
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय बेंच कर रही है। इसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। अब जस्टिस बोबडे के छुट्टी पर जाने की वजह से मामले की सुनवाई टली है। बता दें, पहले इस बेंच में जस्टिस यूयू ललित भी शामिल थे, जिन्होंने बाद में खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था।
पहले कब-कब टली सुनवाई
29 अक्टूबर, 2018- सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2019 में मामले की सुनवाई की बात कही थी। 4 जनवरी, 2019- 10 जनवरी की नई तारीख दी गई। 8 जनवरी, 2019- मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के लिए बेंच का गठन किया। 10 जनवरी, 2019- बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित की मौजूदगी पर सवाल खड़े हुए, जिसके बाद 29 जनवरी के लिए सुनवाई टली। जस्टिस बोबडे के छुट्टी पर जाने की वजह से 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई टली।
क्या रही दोनों पक्षों की प्रतिक्रिया
एक बार फिर मामले की सुनवाई टलने के बाद रामलला के मुख्य पुजारी ने कहा कि जिस प्रकार से तारीख पर तारीख बढ़ रही है, इससे ये दिख रहा है कि जल्दी न्याय नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का बार-बार इस मसले को टालना दुखद है। वहीं बाबरी मस्जिद पक्ष के इकबाल अंसारी ने कहा कि कोर्ट में तारीख आगे बढ़ना कोई नई बात नहीं है, ये होता रहता है।
"राम मंदिर के लिए नये राजा का चुनाव"
आजतक के मुताबिक, संतो ने कहा कि चाणक्य नीति के अनुसार नए राजा का चयन होगा, जो राम मंदिर बनाएगा। संतो ने कहा कि अब वह व्यक्ति ही सत्ता में आएगा, जिस पर संतों का आशीर्वाद होगा।
योगी आदित्यनाथ बोले- 24 घंटे में कर देंगे समाधान
चुनाव आते ही राम मंदिर के मामले पर राजनीति तेज हो जाती है। ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिल रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्नयाथ ने कहा था राम मंदिर मसले पर लोगों का धैर्य समाप्त हो रहा है और सुप्रीम कोर्ट इस विवाद पर जल्द आदेश देने में असमर्थ है। अगर सुप्रीम कोर्ट यह मुद्दा उन्हें सौंप दे तो वे 24 घंटे में इस मामले का समाधान कर देंगे।