देश के आधे से अधिक किसान परिवारों पर कर्ज, पांच सालों में 57 प्रतिशत का इजाफा
देश के आधे से अधिक किसान परिवार कर्ज के बोझ से दबे हुए है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के एक सर्वे में पता चला है कि 2018 में 50 प्रतिशत से अधिक किसान परिवारों पर औसत 74,121 रुपये का कर्ज था। सर्वे के अनुसार, कुल कर्ज में से 57.5 फीसदी कृषि उद्देश्य से लिया गया था और इनमें से करीब 70 प्रतिशत बैंकों, सहकारी समितियों, सरकारी एजेंसियों और 20 प्रतिशत पेशेवर सूदखोरों से लिया गया था।
50.2 प्रतिशत परिवारों पर कर्ज- सर्वे
NSO ने जनवरी-जून 2019 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की भूमि और पशुधन के अलावा कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन किया था। इसमें पता चला कि 50.2 प्रतिशत किसान परिवारों पर कर्ज है। सर्वे के अनुसार, देश में किसान परिवारों की अनुमानित संख्या लगभग 9.3 करोड़ है और इनमें से 45.8 प्रतिशत अन्य पिछड़े वर्ग (OBC), 15.9 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 14.2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 24.1 प्रतिशत अन्य हैं।
आय के साथ-साथ बढ़ता गया कर्ज
2013 में हर किसान परिवार पर औसत 47,000 रुपये का कर्ज था, जो 2019 में 57.7 प्रतिशत बढ़कर 74,121 रुपये हो गया। वहीं इस दौरान किसानों की आय 59 प्रतिशत बढ़ी। 2012-13 में एक किसान परिवार की औसत आय 6,426 थी रुपये थी, जो 2018-19 में 10,218 रुपये हो गई। इसमें से मजदूरी से प्राप्त आय 4,063 रुपये, फसल उत्पादन से 3,798 रुपये, पशुपालन से 1,582 रुपये, गैर-कृषि व्यवसाय 641 रुपये तथा भूमि पट्टे से 134 रुपये की आय थी।
किस परिवार को माना गया किसान परिवार?
सर्वे में उस परिवार को किसान परिवार माना गया है, जिसे कृषि गतिविधियों (फसलों की खेती, बागवानी फसलें, चारा फसलें, वृक्षारोपण, पशुपालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, सुअर पालन और मधुमक्खी पालन आदि) से 4,000 रुपये से अधिक की आय होती हो और परिवार का कम से कम एक सदस्य लगातार या पिछले 365 दिनों से कृषि से जुड़ा रहा हो। सर्वे में जुलाई-दिसंबर, 2018 और जनवरी-जून, 2019 के दौरान आंकड़े जुटाए गए थे। कर्ज के आंकड़े जुलाई-दिसंबर, 2018 के हैं।
सबसे अधिक कर्ज आंध्र प्रदेश के किसानों पर
देश में एक किसान परिवार पर औसत 74,121 रुपये का कर्ज था, लेकिन यह सबसे ज्यादा 2.45 लाख आंध्र प्रदेश में और सबसे कम 1,750 रुपये नागालैंड में था। आंध्र प्रदेश के अलावा केरल, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां के किसान परिवारों पर 2018 में राष्ट्रीय औसत से अधिक कर्ज था। आंध्र, केरल और पंजाब में यह कर्ज प्रति परिवार औसतन दो लाख रुपये से अधिक था।