#NewsBytesExplainer: जम्मू-कश्मीर में क्यों बढ़ रहे हैं आतंकवादी हमले?
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर में फिर से आतंकी सर उठाने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों में रियासी, कठुआ और डोडा जिलों में 4 जगहों पर आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें 9 तीर्थयात्रियों और एक सैनिक की मौत हो गई है। 7 अन्य लोग भी घायल हुए हैं।
सुरक्षाबलों ने 2 आतंकियों को मार गिराया है और फिलहाल सैनिक हाई अलर्ट पर हैं।
आइए जानते हैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं क्यों बढ़ गई हैं।
हमले
सबसे पहले जानिए कब-कब हुई घटनाएं?
9 जून को रियासी में आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों की बस पर गोलीबारी की, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई।
11 जून को कठुआ में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई। इसमें 2 आतंकी मारे गए और एक जवान शहीद हो गया।
11 जून को आतंकियों ने अधिकारियों की कार पर गोलीबारी की थी।
12 जून को ही डोडा के चतरगल्ला में आतंकवादियों ने सेना और पुलिस की चेकपोस्ट पर गोलीबारी की, जिसमें 6 लोग घायल हो गए।
जम्मू
जम्मू में क्यों बढ़ रहे आतंकी हमले?
बीते 2-3 सालों से आतंकवादी ज्यादातर हमले जम्मू में कर रहे हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह धारा 370 को हटना बताया जाता है, जिसके बाद कश्मीर घाटी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। ऐसे में आतंकी अब जम्मू में घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
जम्मू में 2023 में 43 और 2024 में अब तक 20 आतंकवादी हमले हुए हैं। इसे जम्मू में विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
जमीनी चुनौती
जमीनी चुनौतियों का फायदा उठा रहे आतंकी
जम्मू की भौगोलिक स्थिति काफी जटिल है, जिसका फायदा आतंकी उठाते हैं। आतंकवादी यहां सुरंग और घने जंगलों का फायदा उठाकर घुसपैठ करते हैं और सुरक्षाबलों की पकड़ से बचने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
बारिश में आतंकियों के लिए घुसपैठ ज्यादा आसान हो जाती है, क्योंकि मानसून से इंफ्रारेड लाइट और तार फेंसिंग जैसी निगरानी प्रणाली बाधित होती है, जो आंतकियों की मदद करती है।
मदद
स्थानीय लोग कर रहे मदद?
हालिया हमलों के बाद आतंकवादी भागने में कामयाब रहे हैं।
न्यूज 18 से बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, "जिस तरह से आतंकी हमले की जगह से निकल पाए, उससे लगता है कि कोई स्थानीय व्यक्ति उनके साथ गया होगा और उन्हें रास्ता दिखाया होगा। हमला करने के बाद स्थानीय मदद से उन्हें पनाह मिली होगी और सुरक्षाबलों की गतिविधियों के बारे में जानकारी भी मिली होगी।"
संगठन
दूसरे संगठन हो रहे सक्रिय?
माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की मदद से कई दूसरे संगठन भी सक्रिय हो रहे हैं।
इनमें यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू कश्मीर (ULFJK), मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद (MGH), जम्मू कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (JKFF) और कश्मीर टाइगर्स जैसे नाम शामिल हैं।
पाकिस्तान से घुसे आतंकी जंगलों में छिपे रहते हैं और इन संगठनों की मदद से सुरक्षाबलों की आवाजाही से जुड़ी जानकारी जुटाते हैं और हमलों को अंजाम देते हैं।
समूह
छोटे-छोटे समूह में घुसपैठ कर रहे आंतकी- विशेषज्ञ
इंडिया टुडे से जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) दिलबाग सिंह ने कहा, "पाकिस्तान ने घुसपैठ की लाल रेखा पार कर ली है। ये स्थानीय आतंकवादी नहीं हैं, इसलिए ये लोग पाक सेना की जानकारी के साथ आए हैं। ऐसा लगता है कि सांबा-हीरानगर और राजौरी-पुंछ से नई घुसपैठ हुई है और घुसपैठ करने वाले आतंकवादी छोटे-छोटे समूहों में बंटे हुए हैं। मुझे चिंता है कि वे यहीं नहीं रुकेंगे। लक्ष्य बड़े होते जा रहे हैं।"
लोकसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव के बाद संदेश देने चाह रहे हैं आतंकी
इंडिया टुडे से बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा, "आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों की बस पर हमला कर यह संदेश दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और NDA सरकार अपनी सफलता के बारे में बात करते हैं, लेकिन वे जम्मू-कश्मीर पर नियंत्रण नहीं कर पाए हैं।"
सुरक्षा विश्लेषक सुशांत सरीन ने कहा कि लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद पाकिस्तानी नेतृत्व 'कुछ करने के लिए बेचैन' है।