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    कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को क्यों नहीं लगवानी चाहिए तीन महीने तक वैक्सीन?

    कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को क्यों नहीं लगवानी चाहिए तीन महीने तक वैक्सीन?
    लेखन भारत शर्मा
    Jun 14, 2021, 10:51 pm 1 मिनट में पढ़ें
    कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को क्यों नहीं लगवानी चाहिए तीन महीने तक वैक्सीन?

    कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे वैक्सीनेशन अभियान में जहां राज्यों को वैक्सीन की कमी से जूझना पड़ रहा हैं, वहीं सरकार ने संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को तीन महीने तक वैक्सीन नहीं लगवाने के लिए कहा है। विशेषज्ञों का तर्क है संक्रमण के उपचार से इम्यूनिटी बनती है और वह करीब तीन महीने रहती है, लेकिन कुछ लोग डर के कारण पहले ही वैक्सीन लगवा रहे हैं। यहां जानते हैं आखिर सरकार ने ऐसा क्यों किया है।

    सबसे पहले जानते हैं कि सरकार ने क्यों लिया है यह निर्णय

    बता दें सरकार ने मई की शुरुआत में वैक्सीनेशन अभियान के चौथे चरण और दूसरी लहर के प्रकोप के बीच कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों को तीन महीने तक वैक्सीन नहीं लगवाने के लिए कहा था। ​इसके पीछे सरकार ने तर्क दिया था कि कोरोना संक्रमण का उपचार लेने के कारण लोगों के शरीर में प्राकृतिक रूप से इम्यूनिटी बनती है। यह लंबे समय तक रहती है। ऐसे में पहले वैक्सीन लगवाने से यह व्यर्थ हो सकती है।

    कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद कितने समय तक रहती है इम्यूनिटी?

    जब यह स्पष्ट है कि कोरोना संक्रमण का उपचार लेने के बाद इम्यूनिटी और एंटीबॉडी का निर्माण होता है तो सवाल यह उठता है कि यह कितने समय तक बनी रहती है। हालांकि, इसका अभी तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है। अब तक के अध्ययनों के आधार पर कहा जा सकता है कि संक्रमण के बाद 90-120 दिनों तक शरीर में इम्यूनिटी और एंटीबॉडी रहती है। ऐसे में सरकार ने तीन महीने का समय निर्धारित किया है।

    इम्यूनिटी के खत्म होने को लेकर बना हुआ है संदेह

    चिकित्सा विशेषज्ञों ने भले ही इम्यूनिटी और एंटीबॉडी के 90-120 दिन बने रहने की बात कही है, लेकिन उसके बाद इसके कम होने या खत्म होने पर अभी भी संदेह बना हुआ है। कुछ अध्ययनों में एंटीबॉडी के और मजबूत होने या इसके जीवनभर बने रहने की भी बात कही गई है। हालांकि, यह एंटीबॉडी की मजबूती, संक्रमण की गंभीरता, उम्र और जेंडर जैसे कारकों पर भी निर्भर करती है। ऐसे में स्पष्ट है कि इमयूनिटी तीन महीने तो रहेगी।

    पा्रकृतिक और वैक्सीन से तैयार इम्यूनिटी में से कौनसी है अधिक बेहतर?

    चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमण के उपचार के बाद शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाली इम्यूनिटी और एंटीबॉडी वैक्सीन लगवाने के बाद हासिल की गई इम्यूनिटी और एंटीबॉडी से ज्यादा बेहतर है। दोनों प्रकार की इम्यूनिटी और एंटीबॉडी पर किए गए अध्ययनों में भी सामने आया है कि प्राकृतिक रूप से बनी इम्यूनिटी 99.99 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है, जबकि वैक्सीन से प्राप्त इम्यूनिटी महज 90-94.5 प्रतिशत तक ही सुरक्षा देती है।

    प्राकृतिक इम्यूनिटी के कमजोर होने के बाद वैक्सीन लगवाने से होगा अधिक फायदा

    चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों को सबसे पहले अपने शरीर में बनी प्राकृतिक इम्यूनिटी का लाभ उठाना चाहिए। इसके कमजोर होने या खत्म होने पर ही वैक्सीन लगवानी चाहिए। इससे संक्रमित हुए व्यक्ति को लंबे समय तक सुरक्षा मिलेगी।

    क्या निर्धारित समय से पहले वैक्सीन लगवाना फायदेमंद होगा?

    चिकित्सा विशेषज्ञों की माने तो कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों के निर्धारित तीन महीने से पहले ही वैक्सीन लगवाना अधिक फायदेमंद साबित नहीं होगा। इससे उनकी प्राकृतिक इम्यूनिटी और एंटीबॉडी जल्द खत्म हो जाएगी और उन्हें वैक्सीन से तैयार इम्यूनिटी और एंटीबॉडी के भरोसे ही वायरस से लड़ना होगा। इसके अलावा उनके शरीर में इम्यूनिटी और एंटीबॉडी का समय भी कम हो जाएगा। ऐसे में निर्धारित समय पर ही वैक्सीन लगवाना अधिक फायदेमंद होगा।

    क्या वायरस के नए स्ट्रेनों से संक्रमण का खतरा अधिक है?

    विशेषज्ञों के अनुसार वायरस के नए स्ट्रेनों ने दोबारा संक्रमण का खतरा बढ़ा दिया है। यही कारण है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोग दोबारा से संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि, म्यूटेशन में वायरस के अधिक खतरनाक होने और इम्यूनिटी सुरक्षा से बचने में सक्षम होने पर संदेह बना हुआ है। इसके बाद भी देश में दोबारा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं और म्यूटेशन के कारण संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है।

    भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति

    भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 70,421 नए मामले सामने आए और 3,921 मरीजों की मौत हुई। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,95,10,410 हो गई है। इनमें से 3,74,305 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या कम होकर 9,73,158 रह गई है। देश में कोरोना मामलों में गिरावट देखी जा रही है और लगातार सातवें दिन दैनिक मामले एक लाख से कम रहे हैं।

    भारत में वैक्सीनेशन अभियान की क्या है स्थिति?

    देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 25,48,49,301 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 14,99,771 खुराकें लगाई गईं। वैक्सीनेशन की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ रही है।

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