देश में कोरोना महामारी के कारण 1,700 से अधिक बच्चे अनाथ हुए- NCPCR
क्या है खबर?
कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है।
इसमें बताया गया है कि कोरोना महामारी ने मार्च 2020 से 29 मई, 2021 तक देश में कुल 9,346 बच्चों को प्रभावित किया है।
इनमें से 1,742 के माता-पिता दोनों की मौत हो गई, जबकि 7,464 बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। इसी तरह 140 बच्चों को माता-पिता ने छोड़ दिया।
प्रकरण
सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR से मांगी थी जानकारी
कोरोना वायरस महामारी के बाल संरक्षण केंद्रों में बच्चों के बीच बढ़ते संक्रमण के खतरे हुए अनाथ हुए बच्चों को लेकर 28 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी।
उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अनाथ हुए बच्चों की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के आदेश दिए थे।
इसके अलावा सभी जिला कलक्टरों को महामारी में अनाथ हुए बच्चों की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने तथा NCPCR से विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
रिपोर्ट
एकल माता-पिता के साथ रह रहे हैं 6,612 बच्चे- NCPCR
NCPCR के हलफनामे में बताया गया है कि देशभर से नव निर्मित बाल स्वराज पोर्टल पर महामारी में प्रभावित हुए 9,346 बच्चों का डाटा अपलोड किया गया है।
इनमें से वर्तमान में 6,612 बच्चे एकल माता-पिता के साथ रह रहे हैं, जबकि 1,224 बच्चे परिवार के किसी एक अभिभावक के साथ हैं।
इसी तरह 985 बच्चे कानूनी रूप से अभिभावक बनाए परिवार के किसी सदस्य के साथ और 31 बच्चों को गोद लेने वाली एजेंसी में भेजा गया है।
सबसे ज्यादा
मध्य प्रदेश में अनाथ हुए सबसे अधिक बच्चे
NCPCR के डाटा के अनुसार महामारी में सबसे अधिक 318 बच्चे मध्य प्रदेश में अनाथ हुए हैं। इसी तरह माता-पिता ने 104 बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 2,110 बच्चे असुरक्षित है और इनमें से 1,830 बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खोया है।
शेष बच्चे अनाथ हो गए या उन्हें माता-पिता ने छोड़ दिया। ऐसे में आयोग इन बच्चों की सुरक्षा और देखरेख के तमाम प्रयास कर रहा है।
जानकारी
बिहार में असुरक्षित श्रेणी में है 1,327 बच्चे
NCPCR डाटा के अनुसार बिहार 1,327 असुरक्षित बच्चों के साथ दूसरे नंबर पर है। यहां महामारी के कारण 292 बच्चे अनाथ हो गए और 1,035 बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। उन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
प्रभावित
8-13 साल की उम्र से सबसे ज्यादा बच्चे हुए प्रभावित
NCPCR के डाटा के अनुसार महामारी में 8-13 साल के सबसे अधिक 3,711 बच्चे प्रभावित हुए हैं।
इसी तरह 16-17 साल के 1,712 बच्चे, 14-15 साल आयु वर्ग 1,620 बच्चे, चार से सात साल आयु वर्ग के 1,515 बच्चे और तीन साल तक के 788 बच्चे प्रभावित हुए हैं।
ये बच्चे या तो अनाथ हो गए या माता-पिता में से किसी एक को खो दिया। या फिर उनके माता-पिता ने उन्हें लावारिश हालत में मरने के लिए छोड़ दिया।
सुझाव
NCPCR ने बच्चों की सुरक्षा के लिए दिए अहम सुझाव
NCPCR ने अपने हलफनामे में महामारी में माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों के लिए उन्हें एक माता-पिता के साथ रखने तथा सरकार की ओर से आवश्यक वित्तीय सहायता सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ देने का सुझाव भी दिया है।
इसके अलावा आयोग ने बच्चों की स्कूल शिक्षा को प्रभावित नहीं होने देने का भी सुझाव दिया है। इसके लिए राज्य सरकारों के साथ जिला शिक्षा अधिकारियों को उचित कदम उठाने होंगे।
योजना
NCPCR ने बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाई यह योजना
NCPCR के अनुसार महामारी से प्रभावित हुए बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए स्कूल में प्रवेश देने पर शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 की धारा 12 (1) (सी) के तहत खर्च को राज्य सरकार को उठाना चाहिए।
इसी तरह RTE के दायरे से बाहर कक्षा आठ से ऊपर की कक्षाओं में प्रवेश के लिए उनके समस्त खर्चों को उठाने के लिए राज्य सरकारों को एक विशेष नीति तैयार करनी चाहिए। इससे उन्हें राहत मिलेगी।
घोषणा
प्रभावित हुए बच्चों के लिए केंद्र ने पीएम केयर्स फंड से की अहम घोषणाएं
NCPCR ने हलफनामे में बताया कि केंद्र सरकार ने प्रभावित हुए बच्चों को संबल प्रदान करने के लिए पीएम केयर्स फंड से कई अहम घोषणाएं की है।
सरकार ने अनाथ हुए बच्चों के लिए 'पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना चलाने का निर्णय किया है।
इसमें अनाथ बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक स्टाइपेंड और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये भुगतान दिया जाएगा। इसी तरह उनकी शिक्षा के लिए भी कई घोषणाएं की है।