कौनसे देश दे रहे एक व्यक्ति को दो अलग-अलग वैक्सीनों की खुराकें लगाने की अनुमति?
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ दुनियाभर में चलाए जा रहे वैक्सीनेशन अभियानों में वर्तमान में वैक्सीनों की कमी बड़ी समस्या उभरकर सामने आई है। इसके कारण लोगों को दूसरी खुराक समय पर नहीं मिल पा रही है। इससे महामारी के खिलाफ सुरक्षा को लेकर भी संदेह खड़ा हो रहा है। ऐसे में अब कई देशों ने दूसरी खुराक के रूप में अलग-अलग वैक्सीन लगाने का विचार किया है। यहां जानते हैं कि कौन-कौन से देश इस दिशा में बढ़े हैं?
कनाडा और फिनलैंड ने बनाई मिक्स खुराक की योजना
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार कनाडा ने कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक के रूप में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाने वालों को दूसरी खुराक के रूप में फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन लगाने का निर्णय किया है। अब राष्ट्रीय सलाहकार समिति फाइजर या मॉडर्ना में एक इस्तेमाल का सुझाव देगी। इसी तरह फिनलैंड ने पहली खुराक के रूप में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाने वाले 65 साल से अधिक उम्र वालों को दूसरी खुराक में अन्य वैक्सीन देने का विचार किया है।
चीन और नॉर्वे ने भी बनाई अलग-अलग वैक्सीन की योजना
चीनी शोधकर्ता अप्रैल से ही कैनसिनो बायोलॉजिक्स और चोंगकिंग झीफेई बायोलॉजिकल की एक इकाई द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन खुराकों को मिलाकर परीक्षण कर रहे हैं। 12 अप्रैल को चीन के शीर्ष रोग नियंत्रण अधिकारी ने कहा था कि देश अपनी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए मिस्क खुराकों के उपयोग पर विचार कर रहा है। इसी तरह नॉर्वे ने 23 अप्रैल को कहा कि वह एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की पहली खुराक लेने वालों को दूसरी खुराक के रूप में mRNA वैक्सीन लगाएगा।
रूस ने रोका मिक्स खुराकों का क्लिनिकल ट्रायल
रूस में भी एस्ट्राजेनेका और स्पूतनिक-V की मिस्क खुराकों का परीक्षण शुरू किया था, लेकिन बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय की नैतिक समिति द्वारा अधिक डाटा मांगने पर सरकार ने इसके क्लिनिकल ट्रायल को रोक दिया है। इस पर बाद में विचार किया जाएगा।
फ्रांस और दक्षिण कोरिया ने की मिक्स वैक्सीन ने ट्रायल की तैयारी
फ्रांस के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकार निकाय ने अप्रैल में सिफारिश की थी कि 55 साल से कम उम्र के लोगों को पहले एस्ट्राजेनेका की खुराक लगाई जानी चाहिए और बाद में दूसरी खुराक के रूप में mRNA वैक्सीन देनी चाहिए। हालांकि, यहां मिक्स खुराकों का ट्रायल अभी शुरू नहीं किया गया है। इसी तरह दक्षिण कोरिया ने 20 मई को कहा था कि वह फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को मिलाकर उसका क्लिनिकल ट्रायल करेगा।
स्पेन ने किया मिक्स खुराकों की अनुमति देने का निर्णय
स्पेन की स्वास्थ्य मंत्री कैरोलिना डारियास ने 19 मई को कहा कि देश में 60 साल से कम उम्र के लोगों को एस्ट्राजेनेका या फाइजर की वैक्सीन के रूप में दूसरी खुराक देने की अनुमति दी जाएगी। यह निर्णय कार्लोस III स्वास्थ्य संस्थान के एक अध्ययन के प्रारंभिक परिणामों के आधार पर लिया गया है। जिसमें पाया गया कि फाइजर की वैक्सीन के साथ एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उपयोग करना सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावी था।
स्वीडन ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के साथ दूसरी खुराक का किया निर्णय
इसी तरह स्वीडन की स्वास्थ्य एजेंसी ने 20 अप्रैल को कहा था कि 65 वर्ष से कम उम्र के वह लोग जो पहली खुराक के रूप में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवा चुके हैं, उन्हें दूसरी खुराक के रूप में अलग वैक्सीन दी जाएगी।
यूनाइटेड किंगडम ने आपात स्थिति में मिक्स खुराक देने का किया निर्णय
ब्रिटेन ने जनवरी में कहा कि वह वैक्सीन की कमी के बाद गंभीर स्थिति में लोगों को दूसरी खुराक के रूप में अलग वैक्सीन देने की अनुमति देगा। 12 मई को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में कहा गया था कि फाइजर की वैक्सीन लगवाने के बाद यदि एस्ट्राजेनेका की खुराक ली जाती है तो हल्के या मध्यम लक्षणों की संभावना अधिक थी। इसी तरह नोवावैक्स ने 21 मई को बूस्टर खुराक के ट्रायल में हिस्सा लेने की घोषणा की है।
अमेरिका ने भी बनाई योजना
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने कहा था कि फाइजर और मॉडर्ना की दो खुराकों के बीच 28 दिनों का अंतराल होगा। इसके अलावा वैक्सीन की कमी की स्थिति में मिक्स खुराकों की अनुमति भी दी जाएगी।
भारत में चल रही है मिक्स खुराक के ट्रायल की तैयारी
भारत सरकार यह जानने के लिए ट्रायल शुरू करने की योजना बना रही है कि क्या लाभार्थी को अलग-अलग कोरोना वायरस वैक्सीनों की खुराकें देने से प्रभावकारिता बढ़ती है और क्या ऐसा करने से उन खुराकों का असर लंबे समय तक रहेगा? स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है। कुछ दिन पहले देश की कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने कहा था कि अलग-अलग वैक्सीनों की खुराक लेना चिंता की बात नहीं है।