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कोरोना वायरस के खिलाफ 'सर्जिकल स्ट्राइक' वाला रुख अपनाए केंद्र सरकार- बॉम्बे हाई कोर्ट

कोरोना वायरस के खिलाफ 'सर्जिकल स्ट्राइक' वाला रुख अपनाए केंद्र सरकार- बॉम्बे हाई कोर्ट

Jun 09, 2021
03:55 pm

क्या है खबर?

बॉम्बे हाई कोर्ट में बुधवार को कोरोना महामारी से लोगों को बचाने के लिए घर-घर वैक्सीनेशन शुरू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें हाई कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए केन्द्र सरकार का रुख सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतजार करने की बजाय उस पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' करने जैसा होना चाहिए। यदि सरकार इस तरह का कदम उठाती है तो सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकती है।

यााचिका

दो वकीलों ने दायर की थी जनहित याचिका

बता दें कि वकीलों धृति कपाड़िया और कुणाल तिवारी ने मई की शुरुआत में बॉम्बे हाई कोर्ट में घर-घर वैक्सीनेशन शुरू करने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि देश में आज भी कई बुजुर्ग और कमजोर लोग है जो खुद चलकर वैक्सीनेशन केंद्र पर नहीं पहुंच सकते हैं। ऐसे में सरकार को 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, दिव्यांगों और व्हीलचेयर पर आश्रित लोगों के लिए घर-घर वैक्सीनेशन अभियान शुरू करना चाहिए।

जानकारी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा था मामले पर जवाब

होई कोर्ट ने 12 मई को याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र से पूछा कि क्यों ना घर-घर वैक्सीनेशन कार्यक्रम को सक्रिय रूप से शुरू किया जाए? यदि सरकार समय पर इसे शुरू करती तो अब तक कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

जवाब

केंद्र सरकार ने मंगलवार को हाई कोर्ट में पेश किया था हलफनामा

मामले में केंद्र सरकार ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था कि वर्तमान परिस्थितियों में में वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों, बिस्तर पर पड़े और व्हीलचेयर की सहायता वाले लोगों को घर-घर जाकर वैक्सीन लगाना संभव नहीं है। हालांकि, सरकार ने हलफनामे में इस तरह के लोगों की मदद के लिए 'घर के पास' (नीयर टू होम) वैक्सीनेशन केंद्र शुरू करने का निर्णय किया है। इसके जरिए इन लोगों को बड़ी राहत मिल सकेगी।

टिप्पणी

'घर के पास' वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर हाई कोर्ट ने की तीखी टिप्पणी

मामले में बुधवार को फिर से सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से शुरू किया जा रहा 'घर के पास' वैक्सीनेशन कार्यक्रम संक्रमण वाहक के केंद्र तक पहुंचने का इंतजार करने जैसा है। पीठ ने कहा, "कोरोना वायरस हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है और हमें उसे खत्म करने की जरूरत है। यह कुछ स्थानों और लोगों मैं है, जो बाहर नहीं आ सकते हैं।"

सलाह

केंद्र को अपनाना चाहिए 'सर्जिकल स्ट्राइक' वाला रुख- हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने कहा, "कोरोना वायरस को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए केंद्र सरकार का रुख 'सर्जिकल स्ट्राइक' करने जैसा होना चाहिए। इसके बाद भी आप (सरकार) सीमाओं पर खड़े होकर संक्रमण वाहक के आपके पास आने को इंतजार कर रहे हैं। आप दुश्मन के क्षेत्र में दाखिल हीं नहीं हो रहे हैं।" कोर्ट ने आगे कहा, "सरकार ने कई अहम फैसले किए हैं, लेकिन उनमें काफी देरी कर देने के कारण कई लोगों की जान चली गई।"

उदाहरण

हाई कोर्ट ने 'घर-घर वैक्सीनेशन' के लिए दिया कई राज्यों का उदाहरण

हाई कोर्ट ने केरल, जम्मू और कश्मीर, बिहार, ओडिशा और महाराष्ट्र में वसई-विरार जैसे कुछ नगर निगमों द्वारा शुरू किए गए 'घर-घर वैक्सीनेशन' कार्यक्रमों का भी उदाहरण दिया। कोर्ट ने कहा, "देश के अन्य राज्यों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? केन्द्र सरकार घर-घर वैक्सीनेशन के इच्छुक राज्यों और नगर निगमों को रोक नहीं सकती, लेकिन फिर भी वे केन्द्र की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें इसे तत्कला शुरू करना चाहिए।"

सवाल

पश्चिम के राज्य ही क्यों कर रहे केंद्र की मंजूरी का इंतजार- हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने कहा कि केवल बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को ही केन्द्र की अनुमति का इंतजार क्यों करना पड़ रहा है, जबकि उत्तर, दक्षिण और पूर्व में कई राज्य बिना अनुमति के इसे शुरू कर चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि BMC यह कहकर अदालत की उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रही है कि वह 'घर-घर वैक्सीनेशन' शुरू करने को तैयार है, अगर केन्द्र सरकार इसकी अनुमति दे। उन्हें आगे आकर इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।

जानकारी

हाई कोर्ट ने केंद्र को दिए मामले में फिर से विचार करने के निर्देश

हाई कोर्ट ने सुनवाई में केंद्र की ओर से मौजूद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह को 'घर-घर वैक्सीनेशन' पर फिर से विचार करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जून का दिन निर्धारित किया है।