कोरोना वैक्सीन लगने के बाद हुई 488 लोगों की मौत, 26,000 पर दिखे गंभीर दुष्परिणाम- डाटा
क्या है खबर?
देश में कोरोना वायरस महामारी से निजात पाने के लिए इस समय तीव्र गति से वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि, वैक्सीन को लेकर अभी भी कई लोगों के मन में डर बैठा हुआ है।
इसी बीच चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। वैक्सीनेशन के दुष्परिणामों पर तैयार सरकारी डाटा के अनुसार देशभर में अब तक वैक्सीन लगाए जाने के बाद 488 लोगों की मौत हो चुकी है और 26,200 लोगों में गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिले हैं।
खुलासा
वैक्सीनेशन के बाद 0.01 प्रतिशत में दिखे गंभीर दुष्परिणाम
CNN-न्यूज 18 द्वारा जुटाए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार देशभर में 16 जनवरी से 7 जून तक 23.5 करोड़ वैक्सीन की खुराक लगाई गई है।
इनमें से 26,200 लोगों में वैक्सीनेशन के बाद गंभीर दुष्परिणाम यानी एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) देखने को मिले है और 488 लोगों की मौत हुई है।
कुल वैक्सीनेशन के अनुपात में गंभीर दुष्परिणामों का प्रतिशत महज 0.01 प्रतिशत रहा है। ऐसे में मेगा वैक्सीनेशन अभियान के हिसाब से यह बहुत कम है।
जानकारी
प्रत्येक 10 लाख लोगों में हुई दो की मौत
वैक्सीनेशन के डाटा का विश्लेषण करने पर सामने आता है कि वैक्सीन लगवाने वाले प्रत्येक 10,000 लोगों में एक में गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिले हैं। इसी तरह वैक्सीन लगवाने वाले प्रत्येक 10 लाख लोगों में से दो लोगों की मौत हुई है।
वैक्सीन
गंभीर दुष्परिणाम दिखाने वाले 94 प्रतिशत लोगों को लगी थी कोविशील्ड
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार वैक्सीन लगवाने के बाद सामने आए कुल 26,200 गंभीर दुष्परिणामों में से सबसे अधिक 94 प्रतिशत यानी 24,703 मामले कोविशील्ड के थे।
इसके उलट कोवैक्सिन लगने के बाद दुष्परिणामों के महज 1,497 मामले सामने आए हैं।
हालांकि, दोनों वैक्सीनों में दुष्परिणामों का प्रतिशम 0.01 प्रतिशत रहा है। देशभर में अब तक कोविशील्ड की 21 करोड़ और कोवैक्सिन की 2.5 करोड़ खुराक दी गई है।
AEFI
क्या होते हैं AEFI मामले?
AEFI मामले तीन प्रकार के होते हैं। सामान्य और मामूली AEFI मामलों में इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, सूजन, बुखार और चिड़चिड़ापन शामिल है।
इसी तरह गंभीर AEFI में परेशानी दीर्घकालीन तो नहीं होती, लेकिन परेशानी अधिक होती है। इसमें तेज दर्द, सूजन और बुखार होता है।
इसी तरह अत्यधिक गंभीर AEFI में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है और उसकी मौत होने या स्थाई विकलांगता का खतरा भी बना रहता है।
गंभीरता
गंभीर दुष्परिणाम वालों में से 8.85 प्रतिशत को किया गया अस्पताल में भर्ती
सरकारी डाटा के अनुसार गंभीर दुष्परिणाम वाले कुल मामलों में से 95 प्रतिशत यानी 24,901 में ज्यादा गंभीर लक्षण नजर नहीं आए थे।
इसी तरह महज दो प्रतिशत यानी 412 मामले बहुत गंभीर थे और 3.39 प्रतिशत यानी 887 मामले गंभीर थे। इसी तरह 8.85 प्रतिशत यानी 2,318 लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
इसी तरह गंभीर दुष्परिणाम वालों में से 16.15 प्रतिशत यानी 4,230 लोग पुरानी बीमारियों से भी ग्रसित थे।
मौत
गंभीर दुष्परिणामों के कारण हुई 301 पुरुषों की मौत
डाटा के अनुसार वैक्सीनेशन के बाद सामने आए दुष्परिणामों के कारण कुल 488 लोगों की मौत हुई है। इनमें 301 पुरुष और 178 महिलाएं शामिल है। इसी तरह नौ लोगों के जेंडर का खुलासा नहीं किया गया है।
गंभीर दुष्परिणाम के कारण जान गंवाने वालों में से 457 लोगों को कोविशील्ड की खुराक दी गई थी, जबकि 20 लोगों को कोवैक्सिन की खुराक दी गई थी।
इसी तरह 11 मृतकों की वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।
उम्र
वैक्सीनेशन के बाद कठुआ में हुई सबसे कम उम्र के युवक की मौत
वैक्सीनेशन के बाद जान गंवाने वाले 488 लोगों में से 207 को अस्पताल में भर्ती किया गया था।
मृतकों में जम्मू-कश्मीर के कठुआ निवासी 21 वर्षीय युवक सबसे कम उम्र का था, जबकि कर्नाटक में 97 वर्षीय व्यक्ति सबसे बुजुर्ग था।
मृतकों में 27 लोगों की उम्र 39 साल से कम और 10 लोगों की उम्र 29 साल से कम थी। गंभीर मामले में खून की उल्टी, बेहोशी, सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी की शिकायत हुई थी।
जेंडर
महिलाओं में अधिक सामने आए गंभीर दुष्परिणाम
सरकारी डाटा के अनुसार वैक्सीनेशन के बाद जहां 10,287 पुरुषों में गंभीर दुष्परिणाम सामने आए, वहीं महिलाओं में यह संख्या 15,909 रही है।
भारत में वैक्सीनेशन अभियान के तहत अब तक 10.91 करोड़ पुरुष और 9.30 करोड़ महिलाओं को वैक्सीन की खुराक लगाई गई है। इससे साफ है महिलाएं अधिक प्रभावित हुई है।
इसी तरह ट्रांसजेंडरों में गंभीर दुष्परिणाम के चार मामले सामने आए हैं। ट्रांसजेंडरों को अब तक कुल 35,000 खुराकें लगाई गई है।
बुजुर्ग
बुजुर्गों में सबसे अधिक सामने आए गंभीर दुष्परिणाम के मामले
सरकारी डाटा के अनुसार वैक्सीनेशन के बाद 51 साल से अधिक उम्र के सबसे अधिक 28.53 प्रतिशत यानी 7,476 लोगों में गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिले हैं।
इसी तरह 18-30 साल के 26.34 प्रतिशत यानी 6,901 लोगा, 31-40 वर्ष के 24.27 प्रतिशत यानी 6,360 लोग और 41-50 साल के 20.77 प्रतिशत यानी 5,442 लोगों में गंभीर दुष्परिणामों के मामले सामने आए हैं। इससे साफ है कि युवा और बुजुर्गों में अधिक गंभीर दुष्परिणाम रहे हैं।
समय
वैक्सीनेशन के 30 मिनट बाद दिखे सबसे अधिक गंभीर दुष्परिणाम
देश में सामने आए कुल दुष्परिणामों के मामले में 25.04 प्रतिशत यानी 6,560 मामले वैक्सीन लगने के 30 मिनट में सामने आ गए थे, जबकि 68 प्रतिशत यानी 17,875 मामले वैक्सीन लगने के 30 मिनट के बाद सामने आए हैं।
इसी तरह सबसे ज्यादा 87.87 प्रतिशत यानी 23,022 मामले वैक्सीन की पहली खुराक लगने के बाद सामने आए हैं, जबकि 14.19 प्रतिशत यानी 3,718 मामले वैक्सीन की दूसरी खुराक लगने के बाद आए हैं।
राज्य
महाराष्ट्र में सामने आए गंभीर दुष्परिणाम के सबसे अधिक मामले
सरकारी डाटा के अनुसार वैक्सीन लगने के बाद गंभीर दुष्परिणामों के सबसे अधिक 17.26 प्रतिशत यानी 4,521 मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं।
इसी तरह केरल में 4,074, कर्नाटक 2,650, पश्चिम बंगाल में 1,456, उत्तर प्रदेश में 1,361, गुजरात में 1,131 और दिल्ली में 1,111 मामले सामने आए हैं।
इसी तरह मिजोरम में प्रत्येक एक लाख पर सबसे अधिक 240, सिक्किम में 114, गोवा 102 और दादर नगर हवेली में 100 मामले सामने आए हैं।
पृष्ठभूमि
विशेषज्ञ समूह ने नहीं माना था मौतों का वैक्सीन से सीधा संबंध
इससे पहले AEFI मामलों की जांच करने वाले विशेषज्ञ समूह ने मौतों का वैक्सीन से सीधा संबंध मानने से इनकार कर दिया था।
गांधीनगर भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक दिलीप मावलंकर ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि वैक्सीन सुरक्षित है। सभी मौतों की विस्तृत जांच की जानी चाहिए और पता लगाया जाना चाहिए कि क्या मौत से वैक्सीन का कोई संबंध है। यदि कुछ संबंध मिलता है तो उसकी जांच होनी चाहिए।