उत्तर भारत में बारिश और ओलवृष्टि, आखिर क्यों मई में ऐसा हो रहा है मौसम?
उत्तर भारत में इन दिनों बारिश और ओलावृष्टि हो रही है। मई के मौसम में ऐसा परिवर्तन कई सालों बाद देखा गया है। इसी बीच दिल्ली में पिछले 40 सालों में मई के महीने में सबसे ठंडी रात दर्ज की गई। 3 मई की रात को यहां न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। इससे पहले 2 मई, 1982 में तापमान 15.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। आइए जानते हैं कि मई में क्यों ऐसा हो रहा है?
मौसम में बदलाव को लेकर क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
न्यूज 18 के मुताबिक, भारतीय मौसम विभाग (IMD) के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेंद्र कुमार ने कहा, "मौसम में यह बदलाव असामान्य नहीं है, लेकिन बहुत आम भी नहीं है। मौसम में ऐसा परिवर्तन कई सालों में एक बार होता है। सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में लगातार हो रही बारिश में कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई है।" IMD ने बुधवार को मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 14.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया था।
मई में उत्तर पश्चिम के कई राज्यों में गिरा तापमान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मई के मौसम में आश्चर्यजनक रूप से यह बदलाव केवल राष्ट्रीय राजधानी तक सीमित नहीं है। पूरे उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश और ओलावृष्टि देखने को मिल रही है। यहां दिन में सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो इन दिनों बारिश के कारण 3 से 7 डिग्री नीचे दर्ज किया जा रहा है। ऐसे में उत्तर-पश्चिम भारत में मई के महीने में हो रही बारिश और ओलावृष्टि के पीछे की वजह जानना जरूरी है।
बारिश और ओलावृष्टि के पीछे क्या हैं कारण?
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि कि भूमध्य सागर में 26 अप्रैल के आसपास एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्पन्न हुआ था, जो हिमालय क्षेत्र से टकराया। इसके कारण भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में अचानक बारिश और ओलवृष्टि दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि इस तीव्र पश्चिमी विक्षोभ के कारण न केवल पहाड़ी क्षेत्रों में बल्कि मैदानी इलाकों में भी लगभग एक सप्ताह तक मूसलाधार बारिश हुई। IMD ने पिछले 4 दिनों में यहां करीब 53 मिमी बारिश दर्ज की है।
वैज्ञानिक बोले- अल नीनो प्रभाव के कारण प्री-मानसून में परिवर्तन
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अल नीनो प्रभाव के कारण इस तरह के विषम मौसम की उम्मीद की जा सकती है, जब भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि अल नीनो वर्ष आमतौर पर अप्रैल और मई के दौरान प्री-मानसून बारिश में एक बड़ी प्राकृतिक परिवर्तनशीलता लाता है, जो मैदानी इलाकों के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करता है। इसी वजह से इन दिनों बारिश देखी गई है।
मौसम के बदलाव के दीर्घकालिक परिणाम चिंताजनक- वैज्ञानिक
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव डॉ एम राजीवन ने कहा, "इस साल मौसम में हमें बहुत परिवर्तनशीलता देखने को मिल रही है और उनमें अधिकांश बहुत तीव्र है, लेकिन ये साल-दर-साल होने वाले बदलाव हैं। अगर इसके दीर्घकालिक परिणाम देखें तो हमें चिंतित होना चाहिए।" बहरहाल, IMD ने अगले 5 दिनों तक गर्मी की लहर की किसी भी संभावना से इनकार किया है, जबकि उत्तर भारत ने पिछले 100 सालों में मई में सबसे कम गर्मी दर्ज की है।
आगे कैसा रहेगा मौसम का मिजाज?
IMD के मुताबिक, एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ शुक्रवार रात को हिमालय क्षेत्र से टकरा सकता है, जिसके कारण पर्वतीय राज्यों में बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। इसके अलावा, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली जैसे उत्तर पश्चिमी राज्यों में भी 6 से 7 मई के दौरान गरज और तेज हवाओं के साथ छिटपुट बारिश हो सकती है, जबकि रविवार को कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की भी संभावना है। 7 मई के बाद देशभर में तापमान में बढ़ोतरी की संभावना है।