पुलिस के 'कफन' में अंतिम यात्रा; पांच सालों में उत्तर भारत में मिले 26,000 अज्ञात शव
क्या है खबर?
जीते जी अपनों का सहारा मिला हो या न मिला हो, लेकिन मरने के बाद नहीं मिला उनका कंधा। नसीब हुआ तो सिर्फ पुलिस का दिया कफन...जिसमें लिपटकर पहुंच गए श्मशान और कब्रिस्तान।
ये हाल हुआ उत्तर भारत में गत पांच साल में दुर्घटना, बीमारी या किसी अन्य कारण से जान गंवाने वाले 26,047 अज्ञात लोगों का। जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी।
पुलिस विभाग की वेबसाइट जिपनेट के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
हालात
प्रतिदिन औसतन मिले 14 अज्ञात शव
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी, 2015 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच उत्तर भारत के दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और चंडीगढ़ में पुलिस को कुल 26,047 अज्ञात शव मिले।
इसके हिसाब से प्रतिदिन की औसत संख्या 14 अज्ञात शव की आती है। ऐसे में यदि पूरे देश के आकड़़ों पर गौर किया जाए तो यह संख्या अनुमान से कहीं अधिक पहुंच सकती है।
सबसे ज्यादा शव
देश की राजधानी में मिले सबसे अधिक अज्ञात शव
गत पांच साल की अवधि में सबसे ज्यादा 16,654 अज्ञात शव देश की राजधानी दिल्ली में मिले हैं। यह संख्या उत्तर भारत के आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मिले कुल शवों की संख्या का करीब 64 प्रतिशत हिस्सा है।
प्रतिदिन का औसत निकाला जाए तो यह संख्या 9 शव की आती है। इस आंकड़े से यह भी सामने आ रहा है कि उत्तर भारत में बेसहारों की सबसे ज्यादा संख्या भी दिल्ली में ही होगी।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड
चार राज्यों में मिले एक तिहाई अज्ञात शव
देश की राजधानी दिल्ली जहां अज्ञात शवों की कुल संख्या का 64 प्रतिशत हिस्सा रखती है, वहीं उत्तर भारत में शामिल राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड राज्य कुल संख्या का एक तिहाई यानी करीब 34 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं।
इस अवधि में राजस्थान में 3,074, हरियाणा में 2,452 उत्तर प्रदेश में 2,084 व उत्तराखंड में कुल 1,421 अज्ञात शव मिले है।
पुलिस की मानें तो उन्होंने शिनाख्त के प्रयास भी किए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
सबसे कम
पंजाब में नहीं मिला कोई भी अज्ञात शव
वेबसाइट के रिकॉर्ड के अनुसार पंजाब राज्य में इस अवधि में कोई भी अज्ञात शव नहीं मिला है। पुलिस ने अनुसार कुछ शवों की शुरुआत में पहचान नहीं हुई थी, लेकिन बाद में पुलिस ने प्रयास कर उनके परिजनों का पता लगा लिया।
इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में भी यह संख्या न के बराबर (1) रही। हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में इस अवधि में 361 अज्ञात शव मिले।
प्रयास
पहचान करने के लिए पुलिस के पास होता है 72 घंटों का समय
राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले के पुलिस अधीक्षक अनील कयाल ने अनुसार अज्ञात शवों की पहचान के लिए पुलिस के पास 72 घंटों का समय होता है। इस दौरान पुलिस मृतक की फोटो व पहचान के चिन्ह मीडिया के जरिए प्रकाशित कराती है।
इसके अलावा पर्चे छपवाकर विभिन्न जगहों पर चिपकाए जाते हैं। 72 घंटों में शव से दुर्गन्ध उठने लगती है। ऐसे में शव को सड़ने से बचाने के लिए धर्म के अनुसार उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।
खर्च
अंतिम संस्कार पड़ता है पुलिस की जेब पर भारी
राजस्थान पुलिस निरीक्षक लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करना पुलिस की जेब पर भारी पड़ता है। सरकार की ओर से अज्ञात शवों के क्रियाकर्म के लिए कोई बजट निर्धारित नहीं किया गया है।
पुलिसकर्मियों को नगर निगम, परिषद या फिर पालिका के सहयोग व अपनी जेब से खर्च वहन करना पड़ता है। लकड़ियों की व्यवस्था तो नगर निगम या परिषद से करवा ली जाती है, लेकिन अन्य खर्च पुलिसकर्मियों को ही उठाना पड़ता है।
विसरा
अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती पुलिस
पुलिस इन लोगों में से ज्यादातर की मौत का वास्तविक कारण जानने का प्रयास भी नहीं करती। यही कारण है कि पुलिस अमूमन अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती। विसरा रिपोर्ट किसी की मौत का असल कारण जानने के लिए होती है।
पुलिस पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर की ओर से बताए गए मौत के प्राथमिक कारण को ही सही मानते हुए मामला दर्ज कर लेती है और फिर बाद में न्यायालय के जरिए अंतिम रिपोर्ट (FR) दे देती है।
संस्कार के बाद पहचान
मौत के बाद DNA से पहचान के लिए रखे जाते हैं नमूने
राजस्थान के पुलिस उप महानिरीक्षक अंशुमन भोमिया के अनुसार किसी भी अज्ञात शव की उसके अंतिम संस्कार के बाद भी पहचान होने की संभावनाओं को देखते हुए मृतक के बाल या नाखून को नमूने के तौर पर सुरक्षित रखा जाता है।
अंतिम संस्कार से पहले पुलिस अपनी ओर से शिनाख्त करने के पूरे प्रयास करती है। हालांकि, यदि बाद में कोई मृतक की पहचान करता है तो DNA सैंपल के जरिए उसकी पहचान कराई जाती है।