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    #NewsBytesExplainer: छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के 'तत्काल कैंप' नक्सलियों का निशाना क्यों बन रहे?
    छतीसगढ़ में नक्सली नए तत्काल कैंपों को बना रहे निशाना

    #NewsBytesExplainer: छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के 'तत्काल कैंप' नक्सलियों का निशाना क्यों बन रहे?

    लेखन महिमा
    Feb 01, 2024
    02:20 pm

    क्या है खबर?

    छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सत्ता में आने के बाद नक्सली विरोधी अभियान तेज कर दिए हैं।

    इसी के मद्देनजर बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा के नजदीक टेकुलगुडम गांव में सुरक्षा बलों ने नया 'तत्काल कैंप' बनाया था।

    बीते दिनों नक्सलियों ने अचानक इस कैंप पर हमला कर दिया, जिसमें 3 जवान शहीद हो गए और 14 गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

    आइए जानते हैं कि आखिर नक्सली तत्काल कैंप को निशाना क्यों बना रहे हैं।

    तत्काल कैंप 

    क्या हैं तत्काल कैंप?

    दरअसल, राज्य में नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नक्सल विरोधी कार्रवाईयों को तेज कर दिया गया है और इसके लिए 'तत्काल कैंप' स्थापित किए जा रहे हैं।

    NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक महीने में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के गढ़ पाडिया और मुलेर, सुकमा जिले के सलातोंग और बीजापुर जिले के मुरकराजबेड़ा और दुलेड़ में कई कैंप स्थापित किए हैं।

    इसके अलावा कावरगांव, चिंतागुफा, डुमरीपालनार, पालनार और मुतावेंडी में भी कैंप लगाए गए हैं।

    सुरक्षा अनदेखी

    तत्काल कैंपों पर क्यों हो रहे हमले?

    एक अधिकारी ने बताया कि तत्काल कैंप उन इलाकों में लगाए जा रहे हैं, जो नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित हैं। कभी-कभी इन्हें लगाते समय सुरक्षा मापदंडों की अनदेखी की जा रही, जिसका फायदा नक्सली उठा रहे हैं।

    उन्होंने बताया कि जब टेकेलगुडेम में ऐसा ही एक कैंप लगाया जा रहा था और सुरक्षा बल आसपास के इलाके की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे थे, तभी हमला हो गया।

    टेकेलगुडेम में कैंप पर इस तरह का ये दूसरा नक्सली हमला था।

    नाराजगी 

    तत्काल कैंपों से खुश नहीं स्थानीय लोग

    कुछ स्थानीय लोग तत्काल कैंपों की स्थापना से खुश नहीं हैं। सिलगीर गांव में कई ग्रामीण तत्काल कैंप का विरोध कर रहे हैं।

    जहां 30 जनवरी को सुरक्षा बलों पर हमला हुआ था, वहां से कुछ दूरी पर तत्काल कैंप के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।

    बस्तर में इन कैंपों के खिलाफ 23 बार विरोध-प्रदर्शन हुए हैं।

    मौके पर मौजूद अधिकारियों ने कहा कि टेकेलगुडेम पिछले 4 दशकों से नक्सल प्रभावित है।

    विकास 

    नक्सली प्रभाव के कारण विकास के मामले में पिछड़े गांव

    एक अधिकारी ने NDTV को बताया, "यहां से 4 किलोमीटर दूर पूर्व नक्सली कमांडर हिडमा का गांव है और इसी कारण टेकेलगुडेम समेत आसपास के गांवों में सड़क, बिजली, स्कूल और अस्पताल नहीं हैं। नक्सली ग्रामीणों को अपने संगठनों में शामिल होने के लिए मजबूर कर रहे हैं।"

    रिपोर्ट के मुताबिक, इन इलाकों में बच्चों को न केवल नक्सली बनाने पर जोर दिया जा रहा है, बल्कि बड़े पैमाने पर युवाओं की भर्ती भी हो रही है।

    नक्सल विरोधी 

    3 वर्षों में भारत से खत्म होगा नक्सली खतरा?

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि अगले 3 वर्षों में भारत में नक्सली खतरे को खत्म कर दिया जाएगा।

    सुरक्षाबल इनसे निपटने के लिए बड़ी सावधानी से जमीनी अभियान बना रहे हैं।

    16 जनवरी को बीजापुर के धर्मावरम कैंप पर बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हमला कर हथियारों और अन्य सामग्री को लूटने की कोशिश की थी।

    नक्सली खुद को छिपाने के लिए घास से बने कपड़े पहने हुए थे।

    नक्सली इलाका 

    नक्सली इलाकों पर विशेष ध्यान दे रहे सुरक्षा बल

    सुरक्षा बलों उन इलाकों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, जहां नक्सलियों के केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) का दबदबा है।

    इसके 80 प्रतिशत सदस्य दंडकारण्य क्षेत्र में तैनात हैं, जो बड़े पैमाने पर नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित कर रहे हैं। इस इलाके को माओवादियों के आखिरी गढ़ के रूप में चिह्नित किया गया है।

    बता दें कि 2021 में हिडमा के इलाके में नक्सली हमले में 23 जवान शहीद हुए थे।

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