असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध की तैयारी, मुख्यमंत्री बोले- 45 दिन में मसौदा लाएगी सरकार
असम की सरकार बहुविवाह (एक से ज्यादा विवाह) पर रोक लगाने के लिए जल्द ही विधेयक लेकर आएगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि बहुविवाह पर प्रतिबंध के एक प्रस्तावित मसौदे पर लोगों से सुझाव मांगे गए थे और ज्यादातर लोगों ने विधेयक का समर्थन किया है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार अब 45 दिनों के भीतर मसौदे को अंतिम रूप देगी।
मुख्यमंत्री ने क्या-क्या कहा?
सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'बहुविवाह पर प्रतिबंध से जुड़े विधेयक के प्रस्तावित मसौदे पर हमारी सार्वजनिक सूचना के जवाब में 149 प्रतिक्रियाएं मिली हैं। इनमें से 146 विधेयक के समर्थन में है, जिससे संकेत मिलता है कि विधेयक को भारी जनसमर्थन है। हालांकि, 3 संस्थानों ने विधेयक के प्रति अपना विरोध दर्ज कराया है। अब हम इस प्रक्रिया के अगले चरण की ओर बढ़ेंगे और 45 दिनों में विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप देंगे।'
सरकार ने लोगों से मांगे थे सुझाव
21 अगस्त को मुख्यमंत्री ने बहुविवाह के मुद्दे पर लोगों से सुझाव मांगे थे। राज्य के गृह और राजनीतिक विभाग के प्रधान सचिव की ओर से जारी नोटिस में लोगों से 30 अगस्त तक अपने सुझाव देने को कहा गया था। आम लोग ईमेल या डाक के जरिए सुझाव भेज सकते थे। इससे पहले सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसने कहा था कि राज्य इस विषय पर कानून बना सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा था- बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहता हूं
13 जुलाई को मुख्यमंत्री सरमा ने कहा था कि वे बहुविवाद पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा था, "हम राज्य में बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। सितंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में इससे जुड़ा विधेयक पेश करेंगे। अगर किसी वजह से इस सत्र में विधेयक नहीं ला पाए तो जनवरी में पेश किया जाएगा। अगर समान नागरिक संहिता (UCC) पर कानून बन गया तो बहुविवाह पर प्रतिबंध वाला कानून UCC में विलय हो जाएगा।"
न्यूजबाइट्स प्लस
बहुविवाह भारत में कानूनी तौर पर अपराध है। हालांकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) एप्लिकेशन एक्ट, 1937 के तहत मुस्लिमों को इससे छूट मिली हुई है। इसमें शादी और उत्तराधिकार जैसे निजी मामलों में मुस्लिमों को अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने का अधिकार दिया गया है। इसी कारण मुस्लिम अपने धार्मिक रिवाजों के मुताबिक एक से अधिक विवाह कर सकते हैं। इसके लिए पहली पत्नी की सहमति जरूरी है। हालांकि, मुस्लिम महिलाओं को इसकी अनुमति नहीं है।