असम: सरकारी कर्मचारी दूसरी शादी नहीं कर सकेंगे, मुख्यमंत्री बोले- धर्म अनुमति देता है, सरकार नहीं
क्या है खबर?
असम में पत्नी या पति के जीवित रहते हुए सरकारी कर्मचारी दूसरी शादी नहीं कर पाएंगे। राज्य सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में कर्मचारियों को दूसरी शादी की छूट रहेगी, लेकिन इसके लिए पहले सरकार ने अनुमति लेनी होगी।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भले ही कर्मचारी का धर्म दूसरी शादी की इजाजत देता हो, लेकिन सरकार नहीं देगी।
आदेश
सरकार के आदेश में क्या है?
आदेश के मुताबिक, कोई भी सरकारी कर्मचारी जिसकी पत्नी या पति जीवित हो, वो सरकार की अनुमति के बिना दूसरी शादी नहीं कर सकता। भले ही धर्म के तहत उसे ऐसा करने की अनुमति हो।
इसका पालन नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
हालांकि, विशेष परिस्थितियों में सरकार से अनुमति लेकर दूसरी शादी की जा सकती है। आदेश में तलाक को लेकर कोई बात नहीं लिखी गई है।
कार्रवाई
उल्लंघन किया तो होगी कार्रवाई
राज्य कार्मिक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज वर्मा की ओर से ये आदेश जारी किया गया है।
इसमें चेतावनी दी गई है कि यदि कोई कर्मचारी बिना अनुमति के दूसरी शादी करता है तो उस पर जबरिया सेवानिवृत्ति समेत दूसरी दंडात्मक कार्रवाई हो सकती हैं।
2 शादी पर प्रतिबंध लगाने का यह आदेश असम के सरकारी कर्मचारियों के लिए 58 साल पहले बनाए गए एक सेवा नियम के तहत आया है।
बयान
आदेश को लेकर क्या बोले मुख्यमंत्री?
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, "असम सरकार दूसरी शादी की इजाजत किसी भी कर्मचारी को नहीं देगी, भले ही उनका धर्म इसकी इजाजत देता हो। ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जब कर्मचारी 2 शादी कर लेते हैं। बाद में उनकी दोनों पत्नी पेंशन के लिए लड़ती रहती हैं। इसे देखते हुए यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है। इस संबंध में कानून पहले से ही था। अब इसे लागू करने का फैसला किया गया है।"
बाल विवाह
बाल विवाह के खिलाफ भी सरकार ने की थी सख्ती
असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया था और राज्यभर से 1,000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था।
सरकार बहुविवाह पर प्रतिबंध को लेकर कानून बनाने की भी तैयारी कर रही है। इस संबंध में एक 3 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन भी किया गया था।
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा था, "हम बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। हम जनवरी में विधानसभा सत्र में विधेयक पेश करने की योजना बना रहे हैं।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
देश में कानूनी तौर पर बहुविवाह अपराध है। हालांकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) एप्लिकेशन एक्ट, 1937 के तहत मुस्लिमों को इससे छूट मिली हुई है।
इसमें शादी और उत्तराधिकार जैसे निजी मामलों में मुस्लिमों को अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने का अधिकार दिया गया है। इसी कारण मुस्लिम अपने धार्मिक रिवाजों के मुताबिक एक से अधिक विवाह कर सकते हैं।
हालांकि, मुस्लिम महिलाओं को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।