
उत्तर प्रदेश में हर 5 में से 1 लड़की बाल विवाह का शिकार
क्या है खबर?
भारत सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में हर 5 में से 1 लड़की बाल वधू है। राज्य में कुल 8.5 करोड़ बच्चे हैं।
यूपी के 5 जिले बाल विवाह के मामले में देश के टॉप 50 जिलों में शामिल हैं।
आंकड़ों के अनुसार, श्रावस्ती (68.5 प्रतिशत), गौंडा (48.6 प्रतिशत), ललितपुर (49.3 प्रतिशत), महाराजगंज (48.2 प्रतिशत) और सिद्धार्थनगर (45.2 प्रतिशत) में हालात सबसे खराब हैं।
ये आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में सामने आए हैं।
बाल विवाह
बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में सबसे बुरा हाल
सर्वे के अनुसार, बाल विवाह का सबसे ज्यादा प्रकोप बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में है और लगभग 40 प्रतिशत लड़कियां बाल विवाह का शिकार हैं।
यूनीसेफ के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर भी हर 5 में से 1 लड़की का विवाह 18 साल की उम्र से पहले कर दिया जाता है।
पूरी दुनिया में अभी लगभग 65 करोड़ लड़कियां बाल विवाह का शिकार हैं।
हर साल करीब 1.2 करोड़ लड़कियों की बचपन में शादी हो जाती है।
यूनीसेफ
यूनीसेफ निदेशक की बाल विवाह पर प्रतिबंध की मांग
बाल विवाह की समस्या पर यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनराइटा फोरे का कहना है, "कई लोगों के लिए वेलेंटाइन डे का मतलब रोमांस, फूलों और शादी का प्रस्ताव होता है। लेकिन दुनिया की करोड़ों लड़कियों के लिए शादी का मतलब उनके बचपन और भविष्य का अंत होता है।"
इसके उपाय के बारे में उन्होंने कहा, "उपाय सीधा है- बाल विवाह पर प्रतिबंध, शिक्षा में निवेश और युवाओं, परिवारों और समुदायों को सकारात्मक बदलाव के लिए सशक्त करना।"
समाधान
बाल विवाह खत्म करने के लिए दुनिया को 12 गुना रफ्तार से विकास करने की जरूरत
2030 तक बाल विवाह खत्म करने के लिए दुनिया का विकास अभी के मुकाबले 12 गुना ज्यादा रफ्तार से होने चाहिए।
यूनीसेफ के मुताबिक, किसी लड़की का बाल विवाह होता है तो उसे जीवनभर इसका प्रभाव झेलना पड़ता है और उनकी पढ़ाई छूटने और घरेलू हिंसा का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है।
यूनीसेफ निदेशक ने कहा कि ये सब उपाय अपनाकर ही 2030 तक इस भयानक प्रथा को खत्म कर सकते हैं।