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    असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद क्यों है और यह कितना पुराना है?
    असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद क्यों है?

    असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद क्यों है और यह कितना पुराना है?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Nov 24, 2022
    04:38 pm

    क्या है खबर?

    मंगलवार को असम-मेघालय सीमा पर हुई गोलीबारी में छह लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से दोनों राज्यों के बीच चला आ रहा सीमा विवाद फिर सुर्खियों में आ गया है।

    दोनों राज्यों ने अपने स्तर पर घटना की जांच के लिए समितियां बनाई हैं, वहीं केंद्रीय एजेंसियों से भी इसकी जांच की मांग की है।

    आइये जानते हैं कि मंगलवार को क्या हुआ था और दोनों राज्यों के बीच सीमा को लेकर क्या विवाद है।

    घटना

    मंगलवार को क्या हुआ?

    मंगलवार अल सुबह भीड़ और असम पुलिस के बीच हुए संघर्ष में छह लोगों की मौत हुई थी। यह घटना मेघालय के पश्चिम जैंतिया हिल्स के मुकरोह गांव और असम के पश्चिम कार्बी एंगलोंग जिले की सीमा के पास हुई।

    असम पुलिस का कहना है उनसे भीड़ से घिरने के बाद आत्मरक्षा में गोली चलाई थी।

    गोलीबारी में मरने वालों में पांच लोग मेघालय के थे। राज्य सरकार ने असम पुलिस की इस कार्रवाई को अमानवीय बताया है।

    सीमा विवाद

    दोनों राज्यों के बीच क्या है सीमा विवाद?

    असम और मेघालय 884 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। इस पर 12 क्षेत्रों को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद चल रहा था।

    इसी साल मार्च में दोनों राज्यों ने आपसी सहमति से छह क्षेत्रों का विवाद सुलझा लिया था। बाकी विवाद सुलझाने के लिए क्षेत्रीय समितियों का गठन किया गया, जिनकी दूसरे दौर की बैठक इसी महीने के आखिर में होनी थी।

    हालांकि, अब इस घटना के बाद इस बैठक मे संशय के बादल मंडराने लगे हैं।

    शुरुआत

    कैसे हुई विवाद की शुरुआत?

    ब्रिटिश राज के दौरान मौजूदा नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम अविभाजित असम के हिस्से थे। आजादी के बाद 1972 में मेघालय को असम से निकालकर अलग राज्य बनाया गया।

    असम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम, 1969 के तहत मेघालय की सीमाओं का निर्धारण किया गया था, लेकिन इस पर दोनों राज्यों की आम सहमति नहीं है।

    इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में 1951 में गठित एक समिति की सिफारिशों के बाद से ही विवाद की स्थिति रही है।

    विवाद

    12 क्षेत्रों को लेकर था विवाद

    2011 में मेघालय सरकार ने 12 ऐसे क्षेत्रों की पहचान की थी, जिनको लेकर असम के साथ मतभेद था। ये क्षेत्र लगभग 2,700 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं।

    इन क्षेत्रों में ऊपरी ताराबारी, गजांग रिजर्व फॉरेस्ट, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवा, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोरिया ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रेटाचेरा शामिल हैं। सबसे बड़ा विवाद लंगपीह जिला रहा है।

    इनमें से छह क्षेत्रों का विवाद सुलझ चुका है और छह क्षेत्रों में अभी स्थिति विवादास्पद है।

    जानकारी

    1951 की सिफारिशों का क्या मामला है?

    इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में विवाद की शुरुआत 1951 से हुई, जब असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी सिफारिशें सौंपी थीं।

    2008 में आए एक रिसर्च पेपर में कहा गया था कि बोरदोलोई समिति ने सिफारिश की थी कि जैंतिया हिल्स (मेघालय) के ब्लॉक 1 और 2 असम के कार्बी एंगलोंग जिले में आने वाले मिकिर हिल और मेघालय की गारो हिल्स के कुछ इलाके असम के गोलपाड़ा में ट्रांसफर किए जाएं।

    जानकारी

    मेघालय को मंजूर नहीं है सीमाओं का निर्धारण

    रिपोर्ट के अनुसार, 1969 का अधिनियम इन्हीं सिफारिशों पर आधारित है, लेकिन मेघालय इसे स्वीकार नहीं करता है। उसका कहना है कि जिन इलाकों को असम को देने की सिफारिश की गई थीं, वे असल में खासी-जैंतिया हिल्स से जुड़े हुए हैं।

    दूसरी तरफ असम का कहना है कि मेघालय का पास अपना दावा साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज नहीं है।

    इस दौरान यह विवाद सुलझाने की कई कोशिशें हो चुकी हैं।

    समझौते की कोशिश

    1985 में बनी थी समिति

    1985 में दोनों राज्यों की सरकारों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी, लेकिन विवाद का कोई हल नहीं निकल सका। इसके बाद कई और कोशिशें हुईं।

    जुलाई, 2021 में मेघालय के मुख्यमंत्री कॉरनाड संगमा और उनके असम समकक्ष हेमंत बिस्वा सरमा ने कई चरणों की बातचीत कर कुछ क्षेत्रों का विवाद सुलझाया।

    अधिकारियों ने बताया था कि बचे हुए क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा गंभीर है और इनका हल निकालने में समय लगेगा।

    समझौता

    इन छह जगहों को लेकर हुआ है समझौता

    मार्च में दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते में हाहिम, गजांग, ताराबारी, बोकलापारा, खानापारा-पिलंगकाटा और रेटाचेरा के 36.79 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विवाद सुलझा था।

    ये क्षेत्र असम के कछार, कामरूप, कामरूप मेट्रोपोलिटन और मेघालय के पश्चिमी खासी हिल्स, री-भोई और पूर्वी जैंतिया हिल्स जिले के हिस्से हैं।

    इस विवादित हिस्से में से 18.51 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा असम को दिया गया था और 18.28 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा मेघालय को मिला है।

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