
कौन हैं अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद, जिनकी 'ऑपरेशन सिंदूर' मामले में हुई गिरफ्तारी?
क्या है खबर?
हरियाणा पुलिस ने सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को गिरफ्तार किया है।
उन पर 'ऑपरेशन सिंदूर' की ब्रीफिंग के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को आगे करने के लिए भारतीय सेना पर सवाल उठाते हुए उसे पाखंड करार देने का आरोप है।
पुलिस ने भारतीय जनता युवा मोर्चा सदस्य की शिकायत पर यह कार्रवाई की है। आइए जानते हैं आखिरी प्रोफेसर महमूदाबाद कौन हैं और उन्होंने क्या कहा था।
प्रकरण
क्या है पूरा मामला?
प्रोफेसर महमूदाबाद ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की ब्रीफिंग के लिए कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका को भेजे जाने को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था कि अगर महिलाओं के प्रति यह बदलाव जमीनी स्तर पर नजर नहीं आता है तो यह भारतीय सेना का पाखंड मात्र कहलाएगा।
महमूदाबाद के इस बयान की काफी आलोचना होने पर महिला आयोग ने उनकी टिप्पणी को राष्ट्रीय सैन्य कार्रवाइयों को बदनाम करने का प्रयास बताते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
बचाव
महमूदाबाद ने किया था अपनी टिप्पणी का बचाव
महमूदाबाद ने आयोग को जवाब देते हुए कहा था कि उन्होंने जो कुछ भी सोशल मीडिया पर लिखा, वह महिलाओं के खिलाफ नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें बोलने से रोका जा रहा है।
महमूदाबाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान जारी किया था।
उन्होंने कहा था कि नोटिस के साथ जो स्क्रीनशॉट हैं, उनसे साफ पता चलता है कि मेरी बातों को गलत समझा गया है। इस मामले में आयोग का कोई अधिकार नहीं है।
परिचय
कौन हैं प्रोफेसर महमूदाबाद?
प्रोफेसर महमूदाबाद एक प्रसिद्ध लेखक, कवि, राजनीतिशास्त्री और इतिहासकार हैं। उनका जन्म 2 दिसंबर, 1982 को लखनऊ के प्रभावशाली महमूदाबाद शाही परिवार में हुआ हैं।
उनके पिता मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान को राजा साहब महमूदाबाद के नाम से भी जाना जाता था। उनका अक्टूबर 2023 में निधन हो गया था।
वह राजनीति में भी सक्रिय रहते हुए 2 बार कांग्रेस के विधायक रहे थे और उनकी उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में एक लोकप्रिय व्यक्ति के रूप में पहचान थी।
लड़ाई
पारिवारिक संपत्तियों के 4 दशक तक की लड़ाई
आमिर मोहम्मद खान ने शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत जब्त की गई पारिवारिक संपत्तियों के लिए 4 दशक तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। इनमें लखनऊ में प्रतिष्ठित बटलर पैलेस, हलवासिया बाजार, हजरतगंज बाजार और महमूदाबाद किला, सीतापुर, नैनीताल और देश के अन्य हिस्सों में स्थित संपत्तियां शामिल हैं।
अली के दादा, मोहम्मद आमिर अहमद खान, महमूदाबाद के अंतिम शासक राजा थे और भारत की आजादी से पहले मुस्लिम लीग के लंबे समय तक कोषाध्यक्ष और प्रमुख वित्तपोषक रहे थे।
शिक्षा
कहां हुई है प्रोफेसर महमूदाबाद की पढ़ाई?
प्रोफेसर महमूदाबाद प्रारंभिक स्कूली शिक्षा लखनऊ के ला मार्टिनियर स्कूल से की। उसके बाद में वह 1996 तक इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज स्कूल चले गए। उन्होंने 2001 में विनचेस्टर कॉलेज से स्नातक किया था।
उन्होंने यूनाइटेड किंगडम (UK) में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ऐतिहासिक अध्ययन में MPhil और Phd पूरी की।
उन्होंने सीरिया में दमिश्क यूनिवर्सिटी में अरबी का भी अध्ययन किया है। वह बहुत से प्रिंट और ऑनलाइन समाचार पत्रों में सीरिया के बारे में लिख चुके हैं।
करियर
कैसा रहा है प्रोफेसर महमूदाबाद का करियर?
प्रोफेसर महमूदाबाद का अशोका यूनिवर्सिटी में अकादमिक फोकस 1850 और 1950 के बीच उत्तर भारत में मुस्लिम राजनीतिक पहचान के विकास पर था।
उनके डॉक्टरेट थीसिस में सार्वजनिक कविता सम्मेलनों (मुशायरा), मातृभूमि (वतन), नागरिकता और मुस्लिम अस्मिता जैसे विषयों की खोज की गई थी।
2020 में उन्होंने 'पोएट्री ऑफ बिलॉन्गिंग: मुस्लिम इमेजिनिंग्स ऑफ इंडिया 1850-1950' नामक पुस्तक प्रकाशित की। उनके विद्वत्तापूर्ण कार्यों में सूफियों, शियाओं, अवध और लखनऊ के सांस्कृतिक इतिहास पर भी लेखन शामिल है।
जानकारी
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता रह चुके हैं प्रोफेसर महमूदाबाद
प्रोफेसर महमूदाबाद 2018 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और 2019 से 2022 तक राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में कार्य किया। उन्हें अखिलेश यादव का करीबी माना जाता था, लेकिन उन्होंने 2022 के बाद से कोई औपचारिक पद नहीं संभाला है।