आतंकी संगठन 'कश्मीर टाइगर्स' कब बना था, जिसने ली भारतीय सेना पर हमले की जिम्मेदारी?
जम्मू-कश्मीर के डोडा इलाके में भारतीय सेना और आतंकवादियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में सेना के 1 अधिकारी समेत 4 जवान शहीद हो गए। यह घटना सोमवार रात डोडा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र में धारी गोटे उरारबागी के जंगलों में हुई थी। इस घटना की जिम्मेदारी आतंकी संगठन 'कश्मीर टाइगर्स' ने ली है। आइए जानते हैं कि कब हुआ था इस आतंकी संगठन का गठन और किसने की थी इसकी स्थापना।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुआ था 'कश्मीर टाइगर्स' का गठन
आतंकी संगठन 'कश्मीर टाइगर्स' का नाम पहली बार जनवरी 2021 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सुर्खियों में आया था। यह संगठन पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा समर्थित बताया जाता है। इसने संगठन ने सबसे पहले जून 2021 में सेना के वाहन पर ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी ली थी। उस दौरान इसके साथ लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF), पीपुल्स अगेंस्ट फासिस्ट फोर्सेस (PFF) और लस्कर-ए-मुस्तफा (LeM) का भी नाम सामने आया था।
किसने की थी 'कश्मीर टाइगर्स' की स्थापना?
इस आतंकी संगठन की स्थापना जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी रहे मुफ्ती अल्ताफ उर्फ अबू जार ने की थी। अल्ताफ जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का रहने वाला है। उसने जनवरी 2021 में ही एक विडियो जारी कर कहा था कि उसने नया आतंकी संगठन 'कश्मीर टाइगर्स' बना लिया है। उसके पास काफी आतंकी हैं, जो कि अब इस बैनर तले काम करेंगे। बता दें कि अल्ताफ साल 2020 में ही आतंकवाद में शामिल हुआ था। उससे पहले वह आतंकियों का मददगार था।
'कश्मीर टाइगर्स' के आतंकियों ने दक्षिणी कश्मीर को बनाया ठिकाना
सेना की रिपोर्ट के अनुसार, इस संगठन में करीब 100 आतंकी शामिल हैं। वर्तमान में इसके आतंकियों ने दक्षिणी कश्मीर के घने जंगलों में अपना ठिकाना बना रखा है। इनमें से अधिकतर आतंकी पाकिस्तान से हैं और वह पिछले कुछ महीनों में घुसपैठ के जरिए कश्मीर में दाखिल हुए हैं। सूचना यह भी है कि इस संगठन के सरगना अल्ताफ का स्थानीय आतंकियों के साथ काफी नेटवर्क है और वह युवाओं को अपने साथ जोड़ने की मुहिम चला रहा है।
'कश्मीर टाइगर्स' ने किन हमलों की जिम्मेदारी ली है?
इस संगठन ने दिसंबर 2021 में श्रीनगर में एक पुलिस बस पर हमला किया, जिसमें 3 जवान शहीद होने के साथ 11 घायल हुए थे। 11 जून, 2024 को इसने डोडा के भद्रवाह-पठानकोट मार्ग पर पुलिस की संयुक्त चेकपोस्ट पर फायरिंग की थी, जिसमें 6 जवान घायल हुए थे। इसी तरह 9 जुलाई को भी इस संगठन ने कठुआ के बदनोटा इलाके में सेना के काफिले पर हमला किया था, जिसमें सेना के 5 जवान शहीद हो गए थे।
आतंकी संगठन कर रहे खुद को धर्म निरपेक्ष दिखाने की कोशिश
सेना के अधिकारियों की माने तो ये सभी चारों स्थानीय संगठन हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रमुख आतंकी संगठनों की पृष्ठभूमि में सक्रिय हैं। इन आतंकवादी संगठनों के नामकरण में स्पष्ट बदलाव आया है। पहले नामों में धार्मिक अर्थ होते थे। हालांकि, अब वे प्रकृति में धर्मनिरपेक्ष प्रतीत होते हैं। उन्होंने बताया कि आतंकियों यह कदम जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को धर्मनिरपेक्ष और स्वदेशी के रूप में चित्रित करने का एक प्रयास है।
आम लोगों में दहशत फैलाना है उद्देश्य
विओ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय स्तर पर बने ये सभी नए आतंकी संगठन ऐसा पेश करने की कोशिश कर रहे हैं कि पूरी जम्मू-कश्मीर घाटी आतंकवादियों से भर गई है। इससे आम लोगों में दहशत बढ़ेगी और वह यहां आने से कतराएंगे। उन्होंने बताया कि वास्तविकता ने वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में केवल 150-200 आतंकी सक्रिय है और सेना की ओर से उनका सफाया करने का अभियान जारी है।