पुलवामा हमला: जैश-ए-मोहम्मद के गिरफ्तार किये गए आतंकी ने किया कई बातों का खुलासा
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक साल पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) जवानों से भरी बस पर हुए आतंकी हमले के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। आतंकियों को शरण देने के मामले में गत सप्ताह गिरफ्तार किए गए जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी बशीर मागरे ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को पूछताछ में बताया कि पुलवामा हमला एक सप्ताह पहले ही किया जाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण उसे एक सप्ताह के लिए टालना पड़ा था।
फरवरी के पहले सप्ताह में दिया जाना था अंजाम
पूछताछ में शामिल NIA के दो अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आतंकियों ने फरवरी के पहले सप्ताह में हमला किए जाने की योजना तैयार की गई थी, लेकिन खराब मौसम के कारण CRPF जवानों का काफिला वहां तक नहीं पहुंच सका। इसके चलते हमले को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया। 13 फरवरी, 2019 को CRPF काफिले को सुरक्षा मुहैया कराने वाले वाहनों को देखकर 14 फरवरी को हमला करने की योजना बनाई थी।
आठ महीने पहले शुरू हुई थी हमले की तैयारी
14 दिन के रिमांड पर चल रहे आतंकी मागरे ने जांच एजेंसी को बताया कि पुलवामा हमले को लेकर पहली बार जून 2018 में चर्चा हुई थी। उसके बाद अंतिम निर्णय किया गया और पाकिस्तान से निर्देश मिलने के बाद अक्टूबर 2018 में हमले की सभी तैयारियों को अंजाम देना शुरू कर दिया गया था। आतंकी संगठन ने उसे हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों की मदद करने को कहा था। उसने आतंकियों को आवश्यक सामग्री भी उपलबध कराई थी।
पाकिस्तानी आतंकी उमर फारूक को मिली थी हमले की जिम्मेदारी
मागरे ने NIA को बताया कि जैश-ए-मोहम्मद ने आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद उमर फारूक और IED विशेषज्ञ कामरान को बम बनाने और योजना के अनुसार उसे कार में फिट करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
आतंकियों ने हमले के लिए इसलिए चुना था अवंतिपोरा क्षेत्र
मागरे ने जांच एजेंसी को बताया कि उन्होंने हाईवे का दौरा करने के बाद अवंतिपोरा क्षेत्र को काफिले पर हमला करने के लिए चुना था। उसने बताया कि अवंतिपोरा को चुने जाने का प्रमुख कारण यह था कि क्षेत्र की बनावट के कारण उस क्षेत्र में हाईवे थोड़ा संकरा हो जाता है और सेना के काफिलों को अपने वाहनों की गति धीमी करनी पड़ती है। ऐसे में उस क्षेत्र में हमला आसानी से किया जा सकता था।
हमले में इस्तेमाल किए गए थे ये विस्फोटक
जांच एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने हमले के लिए 50 किलोग्राम विस्फोटक के साथ एक शक्तिशाली IED बम का इस्तेमाल किया था। इस बम को बनाने में RDX, अमोनियम नाइट्रेट और नाइट्रोग्लिसरीन का उपयोग किया गया था। जिसे सीमापार से अवैध तरीके से कश्मीर में लाया गया था। इसके अलावा इसे बनाने के लिए आवश्यक ग्लव्ज, बैटरी और अमोनियम पाउडर को उन्होंने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन से खरीदा था।
घटनास्थल की तरफ विस्फोटकों से भरी कार लेकर गया था मागरे
काकापोरा के रहने वाले मागरे पर आतंकियों को शरण देने और हमले को अंजाम देने में आतंकियों की मदद करने का आरोप है। NIA के अधिकारी ने बताया कि 14 फरवरी को हमले वाले दिन मागरे खुद कार चलाते हुए घटनास्थल की तरफ लेकर गया था। वह हमले के स्थान से महज 500 मीटर दूर उतर गया था। इसके बाद आतंकी आदिल डार विस्फोटकों से भरी कार को CRPF काफिले की तरफ ले गया और बस से टकरा दी।
मामले में अब तक हुई तीन गिरफ्तारी
आपको बता दें कि पुलवामा हमले के मामले में NIA अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। एजेंसी ने आतंकी मागरे को गत 28 फरवरी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद एजेंसी को काकापोरा निवासी तारिक अहमद शाह (50) और उसकी बेटी इंशा जान (23) के आतंकियों को शरण देने व मदद करने की जानकारी मिली थी। इस पर एजेंसी ने मंगलवार को आरोपी पिता-पुत्री को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया।
मुठभेड़ में मारे गए हमले में शामिल अन्य आतंकी
NIA अधिकारियों ने बताया कि हमले में शामिल रहे अन्य आतंकी जैश का संभागीय कमांडर मुद्दासिर अहमद खान, पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद उमर फारुक, देसी बम विशेषज्ञ कमारान और कार मालिक सज्जाद अहमद भट के रूप में हुई थी। इनमें से मुद्दासिर अहमद गत वर्ष 11 मार्च को सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारा गया था। इसी तरह उमर फारुक और कामरान 29 मार्च, सज्जाद अहमद भट 16 जून और कारी यासिर इस साल 25 जनवरी को मुठभेड़ में मारा गया था।